Move to Jagran APP

विवादित बि¨लग एजेंसी को 91 लाख का भुगतान

जासं, कौशांबी : कुछ महीने पहले जिस बिल में खामियां बताते हुए बिजली विभाग के अफसरों ने उसके भुगतान से 60 फीसद की कटौती कर दी थी। अब उन अफसरों के तबादला होने के बाद आए दूसरे अधिकारियों ने उस कंपनी का सौ फीसद यानि 91 लाख रुपये का भुगतान कर दिया है। नियमों को दरकिनार करते हुए आनन-फानन में बने बिल को जूनियर स्तर के कर्मचारियों से मेजरमेंट कराने के बाद भुगतान कराया गया है। इस पर विभाग के इंजीनियरों ने आपत्ति की है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 08:20 PM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2018 08:20 PM (IST)
विवादित बि¨लग एजेंसी को 91 लाख का भुगतान
विवादित बि¨लग एजेंसी को 91 लाख का भुगतान

जासं, कौशांबी : कुछ महीने पहले जिस बिल में खामियां बताते हुए बिजली विभाग के अफसरों ने उसके भुगतान से 60 फीसद की कटौती कर दी थी। अब उन अफसरों के तबादला होने के बाद आए दूसरे अधिकारियों ने उस कंपनी का सौ फीसद यानि 91 लाख रुपये का भुगतान कर दिया है। नियमों को दरकिनार करते हुए आनन-फानन में बने बिल को जूनियर स्तर के कर्मचारियों से मेजरमेंट कराने के बाद भुगतान कराया गया है। इस पर विभाग के इंजीनियरों ने आपत्ति की है।

loksabha election banner

बिल बनाने और वितरण के लिए डीएमसीएस (डाटा मैनेजमेंट एंड कंसल्सटेंसी सर्विसेज) कंपनी को ठेका दिया था। इस कंपनी को प्रति बिल के हिसाब से भुगतान करना था। कंपनी ने सत्र 2017-18 में काम किया था। जब उसके भुगतान की बारी आई तो उसके काम की जांच हुई। जांच में पता चला कि कंपनी के कर्मचारी एक जगह बैठकर अधिकतर बिल बना दिए। वह उपभोक्ता के घर नहीं गए। वह जिस मशीन से बिल बना रहे थे, उसमें लोकेशन भी दिखती है। इसलिए जांच में उनके लोकेशन की जानकारी हो गई। वह बिना मौके पर गए ही बिल बना दिए। साथ ही जो बिल बनाया, उसका वितरण कंपनी के कर्मचारियों ने मौके पर जाकर नहीं किया। इसके अलावा तमाम उपभोक्ताओं की मीटर री¨डग नहीं की। ऐसे में ग्रामीण व शहरी उपभोक्ता बिल जमा नहीं कर सके। मेजरमेंट कर रहे जेई आशीष शुक्ल ने कंपनी के काम में कई कमियां पाई। इसलिए तत्कालीन अधिशासी अभियंता प्रभाकर पांडेय के निर्देश पर कंपनी के बिल में 60 फीसद की कटौती कर दी। फिर उस कंपनी को उसके काम के हिसाब से 28 लाख रुपये भुगतान होना था। इसी दौरान अधिशासी अभियंता और अधीक्षण अभियंता का तबादला हो गया। कंपनी की लापरवाही के चलते अगले सत्र के लिए उसका ठेका भी जिले से खत्म हो गया। कुछ महीने पहले अधीक्षण अभियंता एसके श्रीवास्तव जिले में कार्यभार संभाला। उन्होंने उस बिल की जांच कराई। एक्सईएन से बनाए बिल को एसडीओ ने रद किया और नए सिरे से बिल बनाया। नए बनाए गए बिल का मेजरमेंट टीजी टू कर्मचारी अजय सोनकर से कराया गया। जबकि यह काम जेई या एसडीओ को करना था। फिर पुरानी आपत्तियों को दरकिनार उस कंपनी का आनन-फानन में 91 लाख का बिल बना कर भुगतान कर दिया गया। - पूर्व में बना बिल सही नहीं था। इसलिए ठेकेदार ने उस बिल के खिलाफ अपील की थी। जांच में बिल सही पाने पर उसका 91 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। बिल का सौ फीसद भुगतान किया गया है और वह सही है।

- एसके श्रीवास्तव, अधीक्षण अभियंता।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.