दो दिन में बिक गई 854 टन डीएपी, शनिवार को मायूस लौटे किसान, मंझनपुर में नाराज किसानों ने किया प्रदर्शन
किसानों को खाद देने के लिए जनपद में 68 साधन सहकारी समितियों खोली गई हैं। गुरुवार व शुक्रवार को 854 टन डीएपी साधन सहकारी समितियों में भेजी गई। जानकारी होने के बाद किसानों ने शुक्रवार की सुबह से ही किसान लाइनों में लग गए।
कौशांबी। किसानों को खाद देने के लिए जनपद में 68 साधन सहकारी समितियों खोली गई हैं। गुरुवार व शुक्रवार को 854 टन डीएपी साधन सहकारी समितियों में भेजी गई। जानकारी होने के बाद किसानों ने शुक्रवार की सुबह से ही किसान लाइनों में लग गए। शाम तक अधिकतर समितियों से खाद की बिक्री हो गई। शनिवार को खाद लेने के लिए गए सैकड़ों किसानों को मायूस होकर लौटना पड़ा। खाद मिलने से नाराज होकर किसानों ने साधन सहकारी समिति मंझनपुर में प्रदर्शन किया।
मंझनपुर क्षेत्र की 21 सहकारी समितियों में 250 बोरी भेजी गई थी। इसी प्रकार चायल तहसील के चायल विकास खंड के साथ ही मूरतगंज व नेवादा के 22 साधन सहकारी समितियों में भी डीएपी की खेप पहुंची। खाद लेने को किसानों के बीच होड़ मच गई। कम मात्रा में पहुंची खाद की बोरियां किसानों की लाइनें और उनकी जरूरत से कम थी, जबकि किसानों की मांग अधिक थी। केंद्र प्रभारी ने अपना पीछा छुड़ाते हुए प्रति किसान एक बोरी खाद का वितरण किया। खाद खत्म होने के बाद समिति में ताला लगाकर वह गायब हो गए। जबकि कई किसान इंतजार करते रहे। शाम होने पर वह मायूस होकर लौट गए। किसानों के मुताबिक गेंहू की बोआई जोरों पर शुरू हो गई है। अब उन्हें डीएपी खाद की आवश्यकता है। खाद के अभाव में किसानों की खेती प्रभावित हो रही है। सराय अकिल प्रतिनिधि के मुताबिक साधन सहकारी समिति कनैली में समिति के बाहर खाद के इंतजार में खड़े किसानों ने सचिव पर ब्लैक में खाद बेचने का आरोप लगाया है। किसानों का आरोप है कि कनैली साधन सहकारी समिति में दो सौ बोरी डीएपी आयी थी। सचिव ने 10:30 बजे गोदाम खोला और अपने चहेतो में किसी को पांच बोरी तो किसी को 10 बोरी खाद देकर दो बजे की दोपहर सोसाइटी में ताला लगा दिया। किसानों ने शाम तक उसका इंतजार किया। इसके बाद मायूस हो कर लौट गए। नेवादा प्रतिनिधि के मुताबिक पुरखास सहकारी समिति में ताला लटकता रहा। जबकि नेवादा साधन सहकारी समिति में खाद की बोरी से अधिक किसानों की कतारें लगी रही। जिसमें कुछ ही किसानों को खाद मिल सकी। जबकि दो दर्जन से अधिक किसानों को मायूस होकर खाली हाथ लौटना पड़ा।