दो लाख की भांग पर डेढ़ करोड़ का टेंडर
जासं, कौशांबी : जिले के भांग की दुकानों में गांजा की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। इस बात की जानकारी आबकारी विभाग के अफसरों को बखूबी है। यही वजह है कि साल भर में महज दो लाख से अधिक की भांग नहीं बिकती लेकिन इस वर्ष भी डेढ़ करोड़ का टेंडर किया गया है। जिले में कुल 42 सरकारी भांग की दुकानें हैं। अधिकांश में भांग के नाम पर गांजा की बिक्री हो रही है।
जासं, कौशांबी : जिले के भांग की दुकानों में गांजा की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। इस बात की जानकारी आबकारी विभाग के अफसरों को बखूबी है। यही वजह है कि साल भर में महज दो लाख से अधिक की भांग नहीं बिकती लेकिन इस वर्ष भी डेढ़ करोड़ का टेंडर किया गया है। जिले में कुल 42 सरकारी भांग की दुकानें हैं। अधिकांश में भांग के नाम पर गांजा की बिक्री हो रही है।
जिले में गैर प्रांतों व जनपदों से आने वाला गांजा मंझनपुर, भरवारी, करारी सरायअकिल, सिराथू, सैनी देवीगंज, कड़ा, हर्रायपुर, काजीपुर, पूरामुफ्ती, मनौरी, ओसा, तिल्हापुर मोड़, कौशांबी आदि जगहों पर बेचा जाता है। भांग की दुकानों पर आबकारी विभाग की नजर नहीं है। या फिर नजरंदाज कर रहे हैं। यदि बीते वर्ष के विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो तकरीबन सवा करोड़ से अधिक के टेंडर के बाद दो लाख से कम की भांग ठेकेदारों ने बेची। लगभग डेढ़ करोड़ से अधिक का टेंडर क्यों हो रहा है, यह बात हजम नहीं हो रही है। विभाग के अफसर भांग की दुकानों से गांजा बिक्री से इन्कार कर रहे हैं लेकिन टेंडर लेने वाले घाटे का सौदा क्यों करेंगे, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। दबी जुबान से विभागीय जिम्मेदार गांजा बिक्री की बात स्वीकारते हैं। जिले के चु¨नदा कारोबारी बिहार से भांग व गांजा मंगवाते हैं। तस्कर ट्रेन से गांजा सब्जी की बोरियों में भरकर लाते हैं। भांग की दुकानों में गांजा बिक्री की जानकारी होती है तो कार्रवाई की जाती है। इसके लिए समय-समय पर अभियान भी चलाया जाता है। किसी दुकान से गांजा बिक्री की जा रही है तो इसकी शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
- बीरबल मलिक, जिला आबकारी अधिकारी।