हद से ज्यादा खराब है शहर की आबोहवा, सेहत का खतरा
जिले की आबोहवा बेहद खराब हो चुकी है। हवा में जहर घुल रहा है जो सेहत के लिए खतरा बनता जा रहा है। वातावरण के साथ-साथ जनसामान्य की सेहत भी खतरे मे है। वायु गुणवत्ता सूचकांक का उछाल बरकरार है। सूचकांक गड़बड़ाया हुआ है। सामान्य की अपेक्षा पांच गुना तक वातावरण में जहर घुला हुआ है।
संवाद सहयोगी, कासगंज : जिले की आबोहवा बेहद खराब हो चुकी है। हवा में जहर घुल रहा है जो सेहत के लिए खतरा बनता जा रहा है। वातावरण के साथ-साथ जनसामान्य की सेहत भी खतरे मे है। वायु गुणवत्ता सूचकांक का उछाल बरकरार है। सूचकांक गड़बड़ाया हुआ है। सामान्य की अपेक्षा पांच गुना तक वातावरण में जहर घुला हुआ है।
वातावरण की सेहत दीपावली पर्व के बाद से खराब हुई है। हवा में धूल के कण काफी मात्रा में बढ़े गए हैं। आसमान में बादल और हवा स्थिर होने के कारण कण जमे रहते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है। इसके अलावा भवनों के निर्माण के दौरान उड़ती धूल भी वायु गुणवत्ता सूचकांक को गड़बड़ाए हुए है। प्रदूषण रोकने की दिशा में कोई ठोस कदम भी नहीं उठाए जा रहे हैं। शहर की आबादी में गाडि़यों की संख्या बढ़ती जा रही है। गाडि़यों से निकलता धुआं भी पर्यावरण को खतरा बनाए हुए है, जो सेहत प्रभावित हो रही है। मंगलवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 250 माइक्रो प्रतिघन मीटर था।
यह होती है स्थिति
- 45 से 50 माइक्रो प्रतिघन मीटर तक सामान्य होता है वातावरण।
- 51 से 150 माइक्रो प्रतिघन मीटर तक माना जाता है थोड़ा प्रदूषण।
- 150 से 200 माइक्रो प्रतिघन मीटर तक मानी जाती है खराब स्थिति।
- 200 से 250 माइक्रो प्रतिघन मीटर तक बेहद खराब मानी जाती है गुणवत्ता। वातावरण में अधिक समय तक इस तरह का प्रदूषण रहने के कारण श्वांस रोगियों की समस्या बढ़ जाती है। इसके अलावा हृदय रोगियों को भी खतरा बना रहता है। रोगियों को तो सावधानी की जरुरत है ही वहीं आम व्यक्ति को इससे बचने के सारे उपाय करने चाहिए। मास्क पहने यह प्रदूषण से बचने का अच्छा माध्यम है।
- एसपी सिंह, एसीएमओ लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हों। वाहनों का उपयोग बेहद जरूरत होने पर करें। सार्वजनिक वाहनों में यात्रा करें। वायु गुणवत्ता सूचकांक वातावरण में नमी होने के कारण भी गड़बड़ाया हुआ है।
- चंद्रभान सिंह, पर्यावरण विशेषज्ञ