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सुबह से रात तक गूंजती रही बैंडबाजों की धुन

युवा बने दूल्हा तो दुल्हन युवतियां बनीं। देवोत्थान पर्व पर सैकड़ों जोड़े दाम्पत्य सूत्र बंधन में बंधे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 05:59 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 05:59 AM (IST)
सुबह से रात तक गूंजती रही बैंडबाजों की धुन
सुबह से रात तक गूंजती रही बैंडबाजों की धुन

कासगंज, संवाद सहयोगी। बुधवार को सहालगों का महापर्व देवोत्थान था। शहर के सभी होटल, मैरिज होम, बरात घर, गार्डन और फार्म हाउस इसके लिए बुक थे। यहां पर शादी समारोह के लिए भव्य सजावट की गई है। सुबह से देर रात तक बैंडबाजों की धुन सुनाई देती रही। युवक दूल्हा बने तो युवतियां दुल्हन बनी। डौली सजी और शहनाई बजीं।

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देवोत्थान पर्व पर जिले में लगभग 400 वैवाहिक कार्यक्रम थे। शहर से लेकर कस्बों, गांव और देहात तक वैवाहिक कार्यक्रमों की धूम थी। शहर की सड़कों पर सुबह से ही निकरोसी के लिए दूल्हों के साथ महिलाएं, युवतियां और बच्चे धूम मचाते देखे गए। शाम होते ही बरातघर रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा उठे। बाजारों में बैंडबाजों के साथ निकलती बरातों से मिशन चौराहे पर जाम की स्थिति रही। ब्यूटी पार्लर एवं सैलून संचालकों के यहां सजने के लिए दुल्हन और दूल्हे पहुंचे। सुबह से ही ब्यूटी पार्लरों पर भीड़ रही। सैलून संचालकों के यहां भी भीड़ देखी गई। युवा दूल्हा रूप में सजने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते रहे। जिन लोगों ने पहले से बुकिग नहीं कराई थी उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। मेहंदी रचाने वालों के यहां भी दूल्हा और दुल्हन की भीड़ रही।

खूब बिके मास्क और सैनिटाइजर

सरकारी गाइड लाइन आने के बाद सहालग वाले परिवारों में लोगों ने नियमों का पालन किया। हलवाई और बैटर के लिए गिलव्स और मास्क खरीदे। मैरिज होम के बाहर आने वाले रिश्तेदारों के हाथों को सैनिटाइज कराने की व्यवस्था की थी। मास्क और सैनिटाइजर की खूब बिक्री हुई।

पंडालों में हुआ नियमों का पालन

एक-दो विवाह स्थलों छोड़ दें तो अधिकांश विवाह स्थलों पर कोरोना के नियमों के पालन हुआ। कुछ समय पंडालों में अव्यवस्था रही, लेकिन बाद में लोगों ने स्वयं शारीरिक दूरी का पालन किया। स्टाल पर भीड़भाड़ नहीं लगी। हाथों सैनिटाइज करने की व्यवस्था की गई थी। कुछ कर्मचारी पीपीई किट पहनकर लोगों के हाथों को सैनिटाइज कराते देखे गए। दो शिफ्टों में बुलाए गए रिश्तेदार

कई कार्यक्रम ऐसे सामने आए जिनमें आमंत्रित व्यक्तियों को लंच और डिनर में बुलाया गया। आयोजकों ने कन्या पक्ष के लोगों को लंच में भोजन कराया तो वर के पक्ष के लोगों को रात में भोजन कराया गया। इस तरह आयोजकों ने अतिथियों की भीड़ को विभाजित किया। आयोजनों में पहुंचने लोगों की संख्या कम रही।


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