चला और फिर थम गया चीनी मिल का पहिया
जागरण संवाददाता, कासगंज: न्यौली शुगर मिल के संसाधन इस बार साथ नहीं दे रहे हैं। आए दिन मिल में कमी आ
जागरण संवाददाता, कासगंज: न्यौली शुगर मिल के संसाधन इस बार साथ नहीं दे रहे हैं। आए दिन मिल में कमी आ जाने से पिराई प्रभावित हो रही है। जिससे किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों में मिल के विरूद्ध आक्रोश पनप रहा है। कड़कड़ाती ठंड में किसान मिल के बाहर अपने गन्ने से भरे वाहनों को रखा रहा है।
आठ दशक पूर्व क्षेत्र के नगरिया में न्यौली शुगर मिल लगी थी। यह मिल कासगंज तहसील के लिए एक बड़ी उपलब्ध थी। आज भी जिले के उत्पादक इकाईयों में न्यौली मिल का स्थान है, लेकिन अब यह मिल विवादों के घेरे में रहती है। गन्ना मूल्य के बकाए को लेकर मिल वर्षो से किसानों के निशाने पर रही। अब बीते दिनों गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान सरकार के सॉफ्ट लोन से कर दिया गया। गन्ना मिल भी चालू हो गई। गन्ना खरीद केंद्रों पर किसान गन्ना लेकर भी पहुंच रहें है गन्ने की खरीदारी भी हो रही है, लेकिन मिल के संसाधन साथ नहीं दे रहे हैं। बीते एक पखवाड़े में दो बार मिल का पहिया थम गया और पिराई प्रभावित रही। शुक्रवार को अचानक मिल के तकनीकी खांमी आ गई और पिराई रूक गई। मिल प्रशासन की माने तो वॉयलर में चीनी चले जाने से मिल नहीं चल की। शुक्रवार देर रात तक तकनीकी कर्मचारी दुरस्तीकरण में लगे रहे। शनिवार को मिल चली, लेकिन कुछ देर चलकर ही फिर कमी आ गई। बार-बार पिराई प्रभावित होने से किसान परेशान है। मिल के विरूद्ध उसका आक्रोश पनप रहा है।
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मिल में शुरू से ही कमी थी, लेकिन शुरू कर दी गई। बार-बार खराब हो रही है, परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रमेश चंद्र, गन्ना किसान
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मिल प्रबंधन को चाहिए कि एक बार वह मशीनों को पूरी तरह से सही कराकर मिल चालू करें। रोज रोज की यह खराबी किसानों के लिए दिक्कत तलब है। राम ¨सह, गन्ना किसान
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अपने नंबर आने के इंतजार में रात खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ रही है। मिल की यह खराबी समस्या बनती जा रही है। नेत्रपाल चौहान, किसान
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पहले भुगतान की समस्या और अब आए दिन मिल बंद रहना खराबी आना गन्ना किसानों के लिए सरदर्द है। गन्ना की खेती से मोहभंग हो रहा है। मुनेश ¨सह, किसान