शहर के कालेज में पहुंचे विद्यार्थी, कस्बों में संख्या रही शून्य
कालेज संचालकों ने कोरोना के नियमों को लेकर व्यवस्थाओं का पालन किया। आठ माह बाद महाविद्यालय खोले गए थे।
कासगंज, संवाद सहयोगी। कोरोना संक्रमण के चलते आठ माह बाद महाविद्यालय खोले गए हैं। शासन की गाइड लाइन के अनुसार इनमें व्यवस्थाएं की गई थीं। शहर में विद्यार्थी पहुंचे तो कस्बों के कालेजों में संख्या न के बराबर रही। कई कालेजों में तो एक भी विद्यार्थी नहीं पहुंचा, जिससे संचालकों की व्यवस्थाएं धरी रह गईं। यहां शिक्षक धूप सेकते रहे।
कोरोना संक्रमण के चलते मार्च के अंतिम सप्ताह में कालेजों को बंद कर दिया गया था। सरकार ने गाइड लाइन जारी कर कालेजों को सोमवार से खोलने के निर्देश दिए थे। संचालकों ने दो दिन पूर्व ही कालेज खोलने के लिए व्यवस्थाएं कर ली थीं। सुबह कालेज खुले, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या न के बराबर रही। शहर के शारदा देवी जौहरी नगर पालिका कन्या महाविद्यालय एवं केएपीजी कालेज में विद्यार्थी पढ़ने पहुंचे। मुख्य द्वार पर हाथों को सैनिटाइज कराया गया। केएपीजी कॉलेज में विद्यार्थियों के थर्मल स्कैनिग की गई। गंजडुंडवारा के पीजी कालेज में मात्र एक छात्रा पढ़ने पहुंची जिसे अकेला होने के कारण वापस लौटा दिया गया। कस्बा अमांपुर, सिढ़पुरा, पटियाली, सहावर, सोरों के महाविद्यालयों में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए व्यवस्थाएं की गई थीं, लेकिन विद्यार्थी नहीं पहुंचे। सोरों में कोई विद्यार्थी नहीं पहुंचा तो सिढ़पुरा, सहावर में विद्यार्थियों की संख्या न के बराबर रही। विद्यार्थियों को मास्क के बिना प्रवेश नहीं दिया जा रहा था।
छात्रों से अधिक पहुंची छात्राएं
शहर के कोठीवाल आढ़तिया महाविद्यालय में छात्रों से अधिक छात्राएं पहुंची। वहीं सिढ़पुरा एवं सहावर में भी विद्यालय पहुंचने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या अधिक थी। किसी भी विद्यालय में संख्या दो अंकों से अधिक नहीं पहुंची। महाविद्यालय खोले जाने को लेकर हमारे पास कोई गाइड लाइन नहीं थी। उच्च शिक्षा के संस्थान होने के कारण हमें सूचना नहीं मिली है।
रवेंद्र कुमार, प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षक नियमित खुलें कालेज, आनलाइन पढ़ाई से नहीं बनती बात
कासगंज: आठ माह बाद जिले के महाविद्यालय खुले। भले ही कालेज पहुंचने वाले छात्रों की संख्या कम रही हो, लेकिन जो छात्र महाविद्यालय पहुंचे विद्यार्थी एक दूसरे से परिसर में मिले तो अगल ही महसूस कर रहे थे। आनलाइन पढ़ाई को बेहतर न बताते हुए नियमित रूप से कालेज खोले जाने पर चर्चा कर रहे थे। विद्यार्थियों का मानना था कि कालेज को नियमित रूप से खोले जाएं और व्यवस्थित कक्षाएं चलें तो पढ़ाई का माहौल बनेगा। सोमवार को विद्यालय खुले। विद्यालय पहुंचा तो माहौल अलग था। विद्यार्थियों की संख्या बहुत कम थी। कालेज के दोस्त मिले। अच्छा लगा।
ध्रुव माहेश्वरी, छात्र बीकाम प्रथम वर्ष कालेज खुलने का इंतजार कर रहे थे। जब से यह जानकारी हुई कि 23 नवंबर से कालेज खुलेंगे मन में उत्साह था। सोमवार की सुबह 10 बजे स्कूल पहुंचे।
विवेक, छात्र बीएससी प्रथम वर्ष नियमित रूप से कालेज खुलने चाहिए। जिससे पढ़ाई का माहौल बन सके। विद्यालय से ही शिक्षा का सही माहौल बनता है।
चिरायु शर्मा, छात्र बीएससी द्वितीय वर्ष सही मायने में विद्यालयों की कक्षाओं से ही पढ़ाई होती है। आनलाइन पढ़ाई बात नहीं बनती। विद्यायल नियमित रूप से खुलने चाहिए।
विवेक कुशवाह, छात्र बीकाम तृतीय वर्ष