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भगवान वाराह का स्वर्गारोहण स्थल सोरों तीर्थस्थल घोषित

जागरण संवाददाता लखनऊ/ कासगंज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा के बाद भगवान वाराह के स्वर्गारोहण स्थल व आदितीर्थ सूकर क्षेत्र सोरों को तीर्थस्थल घोषित किया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 Oct 2021 05:25 AM (IST)Updated: Fri, 29 Oct 2021 05:25 AM (IST)
भगवान वाराह का स्वर्गारोहण स्थल सोरों तीर्थस्थल घोषित
भगवान वाराह का स्वर्गारोहण स्थल सोरों तीर्थस्थल घोषित

प्रमुख तथ्य

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-1991 से चल रही थी सोरों को तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग

-1868 में नगर पालिका बनी धार्मिक नगरी, 25 वार्डो में फैला है नगर क्षेत्र

-चार देसी-विदेशी शराब व बियर की दुकानें, करीब एक करोड़ सालाना राजस्व

-250 के आसपास छोटे-बड़े मंदिर , इनमें दर्जनभर प्रमुख

-7 प्रमुख मेलों का होता है आयोजन, जुटती है लाखों की भीड़

सूकर क्षेत्र सोरों को तीर्थ स्थल घोषित करने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय से तीर्थ की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित किया जा सकेगा। विकास के साथ-साथ स्थानीय निवासियों को रोजगार के नए साधन भी उपलब्ध होंगे।

-सीएम योगी आदित्यनाथ का ट्वीट

जागरण संवाददाता, लखनऊ/ कासगंज : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा के बाद भगवान वाराह के स्वर्गारोहण स्थल व आदितीर्थ सूकर क्षेत्र सोरों को तीर्थस्थल घोषित किया है। सीएम ने ट्वीट कर क्षेत्र के विकास व रोजगार के अवसर मिलने की उम्मीद जताई है। सोरों को तीर्थस्थल बनाने की मांग को लेकर 30 वर्ष से साधु संत व क्षेत्रवासी आंदोलन चला रहे थे। तीर्थ स्थल घोषित होने से क्षेत्र में खुशी का माहौल है। अब सोरों में मांस-मदिरा व भांग की बिक्री पर रोक लग जाएगी। दो देसी, एक अंग्रेजी व एक बियर की दुकान से करीब एक करोड़ रुपये सालाना का राजस्व मिलता है।

करीब 40 हजार की आबादी वाले सोरों में वर्ष 1991 में सबसे पहले तीर्थस्थल घोषित करने की मांग उठी थी। प्रोफेसर राधाकृष्ण दीक्षित ने क्षेत्र के प्रमुख लोगों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह से मिलकर मांग रखी थी। उस समय उन्हें आश्वासन मिला और कल्याण सिंह ने क्षेत्र के विकास के लिए 50 लाख रुपये भी स्वीकृत किए। इसके बाद कई बार तीर्थस्थल की मांग को लेकर आंदोलन किए गए। वर्तमान में भी 16 अगस्त, 2021 से सूकर क्षेत्र संयुक्त विकास मोर्चा के बैनर तले आंदोलन किया जा रहा था। पोस्टकार्ड अभियान चलाया गया। क्रमिक अनशन व धरना दिया गया। 24 अक्टूबर से लोग आमरण अनशन पर बैठ गए। तीर्थ स्थल की घोषणा के बाद आंदोलन खत्म कर दिया गया है। तीर्थ स्थल बनने से लाभ

-सूकर क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित किया जा सकेगा

-हरि की पौड़ी के घाट सहित महत्वपूर्ण प्राचीन धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार किया जा सकेगा।

- विभिन्न राज्यों से आने वाले लाखों तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाएं मिल सकेंगी। सोरों: एक नजर

-तीर्थ नगरी सोरों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित कई राज्यों से हर रोज तीर्थ यात्री आते हैं। तीर्थ यात्री यहां पर धार्मिक अनुष्ठान कराते हैं। उनकी वंशावली यहां के पुरोहित वांचते हैं।

-सोरों क्षेत्र में हरिपदी गंगा (वराह गंगा), बूढ़ी गंगा और भागीरथी गंगा प्रवाहित हो रही हैं। तीन गंगा भी यहां का धार्मिक महत्ता हैं।

-भारत में मात्र चार वट वृक्ष हैं। प्रयागराज में अक्षय वटवृक्ष, वृंदावन में बंशीवट, उज्जैन में सिद्ध वट और सोरों में गृद्ध वट। पंडित नरेश बताते हैं कि यहीं पर पृथ्वी और वाराह में संवाद हुआ था। मुख्यमंत्री ने जनभावना, जनप्रतिनिधियों की भावना का ध्यान रख सोरों को तीर्थ स्थल घोषित किया है। तीन दिन पहले मैं मुख्यमंत्री से मिला था, तब इसकी जानकारी मिल गई थी। ये पूरे जिले का सम्मान है।

-राजवीर सिंह, सांसद, एटा जब भी मुख्यमंत्री ने पूछा,मैंने हमेशा सोरों को तीर्थ स्थल बनाने की माग रखी। आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहा के लोगों का मान रखा है। मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।

- देवेंद्र राजपूत, सदर विधायक


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