जैन मंदिरों में गूंजी अकिचन धर्म की गूंज
मैं और मेरापन से बोझिल होती है आत्माहाऊजी प्रतियोगिता में भी धर्म का संदेश
जागरण संवाददाता, कासगंज : पर्यूषण महापर्व के नौवें दिन उत्तम आकिचन धर्म का संदेश जैन मंदिरों में गूंजा। मंदिरों में सुबह से पूजा अर्चना करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी। इस अवसर पर विभिन्न धाíमक कार्यक्रम भी हुए।
श्रीपारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर नदरई गेट और श्रीचंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर में भक्तों ने सुबह पूजा एवं अभिषेक किया। पं.अनिल ने भजन प्रस्तुत किए। जैन विद्वान नीलेश ने उत्तम आकिचन के संबंध में बताया कि यह आत्मकेंद्रित करना है। आकिचन धर्म आत्मा की उस दशा का नाम है, जहां पर सब बाहरी छूट जाता है, लेकिन आंतरिक संकल्प एवं विकल्पों की परिणति को विश्राम मिल जाता है। बाहरी परित्याग के बाद भी मन में 'मैं' और 'मेरे पन' का भाव निरंतर चलता रहता है, जिससे आत्मा बोझिल होती है और मुक्ति की ऊर्ध्वगामी यात्रा नहीं कर पाती। जिस तरह पहाड़ की चोटी तक पहुंचने के लिए भार रहित होना चाहिए, उसी तरह से सिद्धालय की पवित्र ऊंचाइयां पाने के लिए हमें अकिचन यानी एकदम खाली होना आवश्यक है। यह आत्मा, संकल्प, विकल्प रूप कर्तव्य भावों से संसार सागर में डूबती रहती है। इस अवसर पर हाऊजी प्रतियोगिता भी हुई। आयोजक राहुल जैन एवं संभव जैन और प्रायोजक अनिल जैन रहे। प्रवचन सभा में जैन रथ मेला कमेटी अध्यक्ष यक जैन, राहुल जैन, शशांक जैन, दीपक जैन, सतीश चंद्र जैन, हर्षित जैन, सचिन जैन, राजीव जैन, प्रवीन जैन, अतुल जैन, विनय कुमार जैन, विनोद जैन, शोभित जैन, पंकज जैन, राहुल जैन, रोहित जैन, भावना जैन, श्रेया जैन, प्रिया जैन, आकांक्षा जैन, अर्चना जैन, कुमुद जैन, रुचिका जैन आदि उपस्थित थे।
हाऊजी धर्म में यह रहे विजेता : लीना जैन, मोहन जैन, पीहू जैन, सुनीता जैन, भावना जैन, वैशाली जैन, वंश जैन, सार्थक जैन, विजय कुमार जैन, शौर्य जैन।