आसमां से बरसी आफत, डूबी गलियां
- फोटो फोटो नंबर- 24केएएस 13 से 23 नौ घंटे हुई मूसलाधार बारिश से पानी-पानी हुआ ि
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फोटो नंबर- 24केएएस 13 से 23
नौ घंटे हुई मूसलाधार बारिश से पानी-पानी हुआ जिला, टूटे पेड़
जनजीवन अस्त-व्यस्त, ग्रामीण क्षेत्रों में मुश्किलें बढ़ी
जासं, कासगंज: गुरुवार रात से शुक्रवार दोपहर तक हुई मूसलाधार बारिश से शहर से लेकर गांव तक पानी-पानी हो गए। आसमां से जमकर आफत बरसी। जन जीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया। फसलें जलमग्न हो गई तो नहर, नाले, नदियां ओवरफ्लो हो गए। सरकारी दफ्तरों से लेकर स्कूलों में जलभराव हो गया। कई स्थानों पर पेड़ भी टूटकर सड़कों पर गिर पड़े।
रात लगभग तीन बजे बरसात शुरू हुई। आसमान गरज उठा और देखते ही देखते बारिश ने रफ्तार पकड़ ली। थोड़ी ही देर में गांव से लेकर शहर तक की गलियां उफान मारने लगी। बरसात इतनी तेज थी कि रात के सन्नाटे को चीर रही थी। शुक्रवार दोपहर तक आसमां बरसता रहा। लोग घरों में कैद होकर रह गए। दोपहर में जब बरसात बंद हुई तो उसके एक से दो घंटे तक सड़क से लेकर गलियों तक पानी जमा रहा। वाहन जहां के तहां फंस गए। कासगंज-सोरों मार्ग पर कई वाहन खराब हो गए, जिन्हें वाहन स्वामियों ने उचित संसाधनों से सड़क किनारे खड़ा कराया। वहीं कासगंज-अमांपुर और सोरों मार्ग पर कई जगह पेड़ भी टूट गए। कई गांव तो पानी में डूब गए, घरों में पानी भर गया। कासगंज क्षेत्र के लुहर्रा, मामों, गोरहा, भिटौना, किलौनी सहित कई गांवों में पानी कई घंटों तक घरों से नहीं निकला। कासगंज की लवकुश नगर कॉलोनी के घर भी जलमग्न हो गए। शहर के सोरों गेट, गांधीमूर्ति, बिलराम गेट, सहावर गेट पर बुरा हाल था। यहां पानी तीन से चार फुट तक जमा हो गया। बर्बादी की ओर फसल
अति वर्षा से किसानों की फसलें अब बर्बादी की ओर हैं। मूंगफली, बाजरा और मक्का की फसलों को नुकसान पहुंचा है। किसान ¨चतित हैं कि अब लागत निकालना तो दूर, फसलों को बचाना ही मुश्किल हो गया है। किसान हरवीर ¨सह, प्रेमपाल ¨सह का कहना है कि अब तो बरसात आफत बन गई है। प्रकृति किसानों को हर बार मार दे रही है। रो पड़ी तराई
तराई क्षेत्र के गांव बमनपुरा, किसौल, किलौनी, सहवाजपुर, दतलाना, लहरा, बघेला सहित दर्जनों गांव पहले ही बाढ़ की मार से पहले ही जलमग्न थे। अब मूसलाधार बारिश ने इन गांव में बुरा हाल कर दिया। वैसे तो ग्रामीण छतों पर अस्थाई रसोई बनाकर भोजन तैयार कर रहे थे। लेकिन आसमां से बरसात और जमीन की बाढ़ ने तराई को रूला दिया है। सुपोषण मेला स्थल पानी-पानी
आज सुपोषण मेला लगाया जाएगा। जिला चिकित्सालय पर इस मेले की वृहद तैयारियां चल रही थी। लेकिन बरसात ने मेले की तैयारियों पर पानी फेर दिया है। यहां मेला स्थल पर जलभराव है। मेला आयोजित करना प्रशासन के लिए चुनौती होगा। ठेकेदार वहां टेंट की आधी अधूरी तैयारियां कर हार थक गया है और उसकी समझ नहीं आ रहा कि आखिर मेले की व्यवस्थाएं कैसे जुटाई जाए। डूब गए स्कूल, तैर गई शिक्षा
बरसात से शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त नजर आई है। निजी स्कूलों में तो स्वत: ही अवकाश कर दिया गया। न तो नौनिहाल स्कूल पहुंच सके और न ही स्कूल संचालकों के वाहन बच्चों को लेने पहुंचे। यह संभव भी नहीं था क्योंकि मूसलाधार बारिश जो हो रही थी। इसके इतर सरकारी स्कूल खुले। गांव भिटौना में तो यह हाल था कि वहां पहुंचने वाले अध्यापकों को स्कूल परिसर से ऑफिस तक पहुंचने के लिए रिक्शा का सहारा लेना पड़ा। वहीं मध्यांह भोजन की सामग्री सिर पर लेकर रसोइयां रसोई तक पहुंची। बच्चे हाथों में छाता लिए स्कूल पहुंचे, लेकिन अध्यापकों ने टपकते भवनों से बच्चों को घर भेज दिया। लल्ला, कासगंज तौ केरल बन गौ
लल्ला रे, जै का हो गयौ, कासगंज तो केरल जैसो लग रओ है। यहां जब चारों तरफ पानी ही पानी था तो कुछ लोगों की जुबां पर चुटकी भरी इस तरह की चर्चा थी। लोग कह रहे थे कि केरल में जैसी पानी की धार चल रही है, वैसी कासगंज में गलियां दिखाई दे रही है। ओवरफ्लो नालों को जनमानस भी जिम्मेदार
ऐसा नहीं कि हर बार ध्वस्त होती ड्रेनेज व्यवस्था के लिए पालिका को जिम्मेदार ठहराया जाए। जबकि कई बार हम भी कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं। क्योंकि अभी भी पॉलीथिन का प्रयोग कर नालों में पॉलीथिन फेंक रहे हैं, जिससे बरसात में नाले ओवरफ्लो हो रहे हैं।