नमकीन-बिस्कुट से प्रवासियों की भूख मिटा रही है रेलवे
जागरण संवाददाता कासगंज 15 घंटे का लंबा सफर। उससे पहले एक से डेढ़ घंटे का इंतजार
जागरण संवाददाता, कासगंज : 15 घंटे का लंबा सफर। उससे पहले एक से डेढ़ घंटे का इंतजार। करीब 17 घंटे का सफर में अन्न के नाम पर प्रवासियों को कुछ नहीं मिला। बूंदी एवं बिस्कुट के सहारे 15 घंटे गुजारने वाले मजदूरों को जब स्टेशन पर भोजन के पैकेट मिले तो बाहर निकलते ही सब कुछ भूल कर इन्होंने पहले पैकेट खोले। दोपहर से भूख से बिलख रहे छोटे-छोटे बच्चों को भोजन खिलाया। इसके बाद में अपनी बसों में बैठे। गुजरात के बड़ोदरा से चली श्रमिक स्पेशल ट्रेन 3.35 बजे स्टेशन पर पहुंची तो प्रवासियों का हाल बेहाल था। स्टेशन पर उतरते ही भोजन के पैकेट मिले तो अधिकांश ने बाहर निकल कर सबसे पहले इन्हें खोला। बच्चों को खाना खिला रहे शाहजहांपुर के अरविद ने कहा कि बच्चे रात से खाना मांग रहे थे। दस बजे स्टेशन पर पहुंचे। साढ़े 12 बजे ट्रेन रवाना हुई तो वहां से बूंदी, नमकीन एवं पानी दिया गया। वो भी रास्ते में खत्म हो गया। सुबह कोटा पर बिस्कुट, केला एवं पानी दिया। इससे कहीं पेट भरता है। बच्चे सुबह से रोटी मांग रहे थे अब कासगंज में आकर खाना मिला है। यही व्यथा हरेक की जुबां पर थी। ट्रेन में 1994 प्रवासी मजदूर आए। इन्हें ट्रेन से उतार कर थर्मल स्क्रीनिग का पालन कराते हुए भेजा। रोडवेज की बसों से इन्हें इनके जिलों में भेजा गया। एडीएम एके श्रीवास्तव, एएसपी डॉ. पवित्र मोहन त्रिपाठी, एसडीएम ललित कुमार, सीओ आरके तिवारी, स्टेशन अधीक्षक अभिषेक वर्मा, मुस्तैदी बनाए रहे।-------
जीआरपी ने संभाली व्यवस्थाएं : स्टेशन पर जब प्रवासियों की ट्रेनें पहुंची तो हर कोई उतरने के लिए बेताब था। साढ़े 12 बजे ट्रेन चली थी। 15 घंटे से ज्यादा के सफर में ट्रेन में सिर्फ बैठे हुए थे। खाने के नाम पर भी सिर्फ बिस्कुट एवं केला मिले थे। इधर शारीरिक दूरी का भी पालन कराना था। जीआरपी थानाध्यक्ष सोनू राजौरा के नेतृत्व में एक-एक कर इन्हें उतारा गा। स्टेशन पर एक मीटर की दूरी पर गोली बने थे। इन्हीं पर चलने की इजाजत थी। -------
प्रवासियों की पहले भी कासगंज ने मिटाई है भूख :गुजरात से चलने वाली ट्रेनों में खाने-पीने की व्यवस्था बदहाल है। एक सप्ताह पहले गुजरात से आई एक ट्रेन से कासगंज में 200 के करीब प्रवासी उतरे थे, लेकिन बरेली की तरफ जा रही ट्रेन में बैठे सभी प्रवासी भूखे थे। जब जिला प्रशासन ने बच्चों को भूख से बेहाल देखा तो उन्होंने करीब 700 पैकेट इस ट्रेन में बंटवाए. जबकि इस ट्रेन में भोजन की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर नहीं होनी थी। बताया जाता है गुजरात में जहां से ट्रेन शुरू हुई थी, वहां पर उन्हें खाना नहीं दिया गया था। शनिवार को भी कासगंज मे आई ट्रेन से मात्र 39 यात्री उतरे थे, लेकिन ट्रेन में करीब 2500 यात्रियों को कासगंज प्रशासन ने भूखा देख कर स्टेशन प्रशासन से निवेदन कर ट्रेन को रुकवाया तथा इन्हें खाने के पैकेट बंटवाए। --------
'प्रवासियों को कहां पर क्या मिला, इसकी हमें जानकारी नहीं है, लेकिन कासगंज में उन्हें भोजन के साथ में पानी के पैकेट एवं केले दिए जा रहे हैं। शनिवार को भी पूरी ट्रेन को कासगंज में खाना बंटवाया गया था।'
-एके श्रीवास्तव
अपर जिलाधिकारी
कासगंज