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मिट्टी ठंडक का करें दान, मिलेगा रोजगार

जागरण संवाददाता कासगंज आज निर्जला एकादशी है। दान का पर्व। इसे घल्ला एकादशी भी कहा जाता

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 09:15 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 06:06 AM (IST)
मिट्टी ठंडक का करें दान, मिलेगा रोजगार
मिट्टी ठंडक का करें दान, मिलेगा रोजगार

जागरण संवाददाता, कासगंज : आज निर्जला एकादशी है। दान का पर्व। इसे घल्ला एकादशी भी कहा जाता है। कोरोना काल में दान की महत्ता बढ़ गई है, क्योंकि लॉकडाउन ने कइयों के समक्ष संकट खड़ा कर दिया है। रोजगार का पहिया भी थमा हुआ है। ऐसे में हम दान के जरिए जहां पुण्य कमा सकते हैं तो काफी हद तक जरूरतमंदों की मदद करते हुए रोजगार भी दे सकते हैं।

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निर्जला एकादशी का पर्व भी कहीं न कहीं मौसम से जुड़ा हुआ है। इस पर्व पर सुराही, मटका सहित अन्य ऐसी वस्तुएं दान करने की पंरपरा है जो ठंडक का पर्याय है। पर्व एक तरह से ग्रीष्म ऋतु के आगमन का संकेत है तो दान के जरिए हम उन लोगों को दान करते हैं, जिन्हें इनकी जरूरत है। हालांकि कुछ लोग मान्य पक्ष को भी दान करते हैं, लेकिन कोरोना काल में हमें दान इसके पात्रों को करना चाहिए। आपके गांव से लेकर मुहल्ले में या शहर में कई ऐसे लोग हैं, जो बेरोजगार हैं। धन की कमी है। ऐसे में इस पर्व पर इन्हें दान करना बेहतर पुण्य होगा। मिट्टी के बर्तनों के दान से शहर के उन कुंभकारों को भी रोजगार मिलेगा, जो लॉकडाउन में बेरोजगार बैठे रहे।

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'26 एकादशी में इसए अधिक फलदायी माना जाता है। यह भगवान विष्णु की उपासना का पर्व है। भक्त व्रत में जल भी ग्रहण नहीं करते। मिट्टी से बने बर्तन में मीठा जल, फल एवं पंखा दिए जाने की पंपरा है। विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से दीर्घायु के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:..' मंत्र का जाप करना चाहिए।'

-पं. रामखेलावन शास्त्री------

'वर्षो से निर्जला व्रत रखते आ रहे हैं। इस वर्ष भी रखेंगे। मिट्टी का बर्तन व अन्य जरूरत की वस्तुएं दान कर मंदिर भेजेंगे। इसके अलावा इस बार संक्रमण के कारण जरूरतमंदों को अन्नदान देंगे।'

-सरोजनी दुबे

गृहणी -----------

'पूजा पाठ दान-पुण्य तो परंपराएं और मान्यताएं हैं, लेकिन जरूरतमंदों की मदद मानवता का सबसे बड़ा गुण है। इस बार निर्जला एकादशी पर पंरपरागत वस्तुओं के दान के अलावा जरूरतमंदों को ठंडे पानी के लिए मिट्टी के घल्ले व अन्य सामग्री वितरित करेंगे।'

-बृजरानी महेरे

गृहणी ------------------यह नाम हैं प्रचलित ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के अलावा भीमसेन एकादशी, पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।


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