'यूएनओ' में भारत बोला, दादागीरी कर रहा चीन
माउंट लिट्राजी स्कूल में यूएनओ और संसद सजी, छात्रों ने उठाए देश और विदेश के मसले
कासगंज, जागरण संवादाता। शहर के माउंट लिट्राजी स्कूल में रविवार को कक्षाएं नहीं, 'संसद' और 'यूएनओ' के सदन सजे। देश के भावी कर्णधारों ने इस संसद में देश के मसले उठाए तो यूएनओ के सदन में दुनिया भर के। सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के मसले पर 'यूएनओ' में भारत बोला कि चीन दादागीरी कर रहा है।
दरअसल, शहर के माउंट लिट्राजी स्कूल में दो दिवसीय इंडिया'ज इंटरनेशनल मूवमेंट ऑफ यूनाइटेड नेशन्स(आइआइएमयूएन) का आयोजन किया गया। इसमें स्थानीय स्कूल के साथ ही बदायूं, बरेली, हाथरस के स्कूली बच्चों (कक्षा 6 से 12 तक)ने भी प्रतिभागिता की। रविवार को स्कूल में भारत की 'संसद', 'यूएनओ' का सदन, 'डब्ल्यूएचओ' की बैठक आहूत की गई। यूएनओ के सदन में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के रूप में छात्रों ने अपनी-अपनी बात रखी। भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मेधा और आकाश ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का मसला उठाया। 'भारत' का कहना था कि चीन दादागीरी कर रहा है। अपनी वीटो पावर का गलत उपयोग कर रहा है। यूएसए की टेबल पर बैठे गौरांग पूरी तरह यूनाइटेड स्टेट की भूमिका में थे। जब भी बहस होती तो अनुशासन की सीख देते तो इन समस्याओं के सुझावों पर भी बात रखते। 'जर्मनी' की प्रतिनिधि साक्षी ने अपने देश में गरीबी एवं अन्य समस्याओं को रखा। इन्हें दूर करने के उपाए भी सुझाए। 'दक्षिण अफ्रीका' ने अपने देश में गरीबी को बड़ी समस्या बताया।
'मेनका' बोलीं- आत्महत्या कर रहे किसान स्कूल में एक कक्ष को लोकसभा का स्वरूप दिया गया था। सामने स्पीकर बैठे थे। सामने दीर्घा में 'मल्लिकार्जुन', 'मेनका गांधी' आदि संसद सदस्य। वास्तविक संसद की तरह यहां भी किसानों को कर्ज माफी का मुद्दा छाया रहा। कांग्रेस सदस्य ने भाजपा सरकार को घेरा। 'मेनका गांधी' ने कहा किसान आत्महत्या कर रहे हैं, हालांकि हमारी सरकार उनकी समस्या समाधान के प्रति गंभीर है। वास्तविक सदन की तरह यहां पर हालांकि कोई हल्ला नहीं हो रहा था।
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इंटरनेशनल मीडिया कक्ष भी :
मंशा बच्चों के संपूर्ण व्यक्तित्व विकास की थी। लिहाजा एक मीडिया कक्ष भी था। जिसमें रिपोर्टर और फोटोग्राफर की भूमिका भी छात्र निभा रहे थे। हर सत्र के बाद में यहां पर प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया जाता। मंत्री, नेता अपनी बात कहते। बॉक्स:: कई दिनों से की जा रही थी तैयारियां
संसद और यूएनओ की कार्यप्रणाली, इनमें प्रतिभागिता करने आदि के बारे में छात्रों को कई दिनों से तैयारियां कराई जा रही थीं। हर प्रतिभागी को टॉपिक आंवटित कर दिए थे। शिक्षकों ने उन्हें जरूरी टिप्स दिए थे। सदन की कार्यवाही के दौरान ये छात्र अपनी-अपनी भूमिका पूरी शिददत से निभा रहे थे।