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प्रकृति है यहां मेहरबान, लोग अनजान

बदायूं-मैनपुरी हाईवे पर पटियाली तहसील में स्थित दरियावगंज झील। जिला ंप्रशासन और प्रादेशिक विभागों ने इसकी जितनी उपेक्षा की है, प्रकृति इस पर उतनी ही मेहरबान है। रंगबिरंगे देसी विदेशी पक्षियों से लेकर मनभावन प्राकृतिक नजारों की यहां भरमार है। इतना सब होने के बाद भी न तो यह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकी और न ईको टूरिज्म के रूप में।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 10:29 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 10:29 PM (IST)
प्रकृति है यहां मेहरबान, लोग अनजान
प्रकृति है यहां मेहरबान, लोग अनजान

जिज्ञासू वशिष्ठ, कासगंज: बदायूं-मैनपुरी हाईवे पर पटियाली तहसील में स्थित दरियावगंज झील। जिला ंप्रशासन और प्रादेशिक विभागों ने इसकी जितनी उपेक्षा की है, प्रकृति इस पर उतनी ही मेहरबान है। रंगबिरंगे देसी विदेशी पक्षियों से लेकर मनभावन प्राकृतिक नजारों की यहां भरमार है। इतना सब होने के बाद भी न तो यह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकी और न ईको टूरिज्म के रूप में।

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दरियावगंज झील में इस समय पेंटेड स्टार्फ, पर्पल मोर हेन, डार्टर, फार्मेनेट व हेरांज जैसे रंगबिरंगे पक्षी यहां बड़ी संख्या में डेरा जमाए हुए हैं। देसी सारस भी हैं। जैव विविधता भी इतनी कि शायद ही आसपास कहीं मिले। यहां सर्दियों के मौसम में वह सब कुछ है, जो पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करता है। आसमान से देखने पर झील अ‌र्द्धचंद्राकार रूप में दिखाई देती है।

यह झील किसी विभाग के अधीन नहीं आती। मछली पालन का ठेका जरूर मत्स्य विभाग उठाता है, लेकिन क्षेत्र के विकास के लिए उसने भी कुछ नहीं किया। अब वन विभाग ने इसे पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। जल्द जिला स्तरीय वेटलैंड संरक्षण समिति की बैठक बुलाकर प्रस्ताव पास कराने की तैयारी है। इस प्रस्ताव को प्रदेश स्तरीय वेटलैंड कमेटी के पास भेजा जाएगा। सारस संरक्षण व ईको टूरिज्म से जोड़ेंगे:

वन विभाग झील को सारस संरक्षण से भी जोड़ेगा। साथ ही ईको टूरिज्म से भी जोड़ने की योजना है। ताकि झील की प्राकृतिक खूबसूरती को निखार कर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। झील से निकलते हैं कमल गट्टा :

बूढ़ी गंगा के डेल्टा में सदियों से पल रही झील के गर्भ में कमल दल खिलते हैं। इनकी जड़ों से आयुर्वेदिक औषधि कमल गट्टा निकलते है। 'अभी यह झील किसी विभाग के अधीन नहीं है। वेटलैंड संरक्षण समिति एवं ईको टूरिज्म के तहत इसे पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव जल्द शासन को भेजने की तैयारी है।'

-दिवाकर कुमार वशिष्ठ

प्रभागीय निदेशक

सामाजिक वानिकी विभाग


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