आया बसंत आया बसंत, नूतन उमंग लाया बसंत
कासगंज, जासं। निर्झर साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस बसंत पंचमी पर्व एवं सुकवि महाप्राण निराला का जन्म-दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर कृष्णा फार्मेसी साहब वाला पेच पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कासगंज, जासं। निर्झर साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस बसंत पंचमी पर्व एवं सुकवि महाप्राण निराला का जन्म-दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर कृष्णा फार्मेसी साहब वाला पेच पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. अखिलेश चंद्र गौड़ एवं डॉ. सुरेंद्र गुप्ता और डॉ. सुभाष दीक्षित ने संयुक्त रूप से मां वाणी के चित्र के समक्ष दीप प्रच्ज्वलित कर किया। काव्य गोष्ठी के प्रारंभ में निर्झर के सचिव सुकवि अखिलेश सक्सेना ने सरस्वती वंदना 'मां मेरी अम्बिके मेरी वरदायिनी, काव्य रचना का उत्कृष्ट वरदान दो. पढ़ी। डॉ. शंकर लाल ने कविता में कहा आया बसंत, आया बसंत। नूतन उमंग लाया बसंत। विनय 'चंदन' ने अपनी ग़•ाल में कहा बचे चार पैसे, जुआ खेल बैठे। गृहस्थी में कैसे यहां मेल बैठे। डॉ. अखिलेश चन्द्र गौड़ ने पढ़ा मां दिवंगत क्या हुई, च्यों टूट कर पुल गिर पड़ा हो, बैठ कर आपस में घर के लोग बतियाते नहीं हैं। डॉ. राम प्रकाश पाल पथिक ने बसंत को संदर्भित रचना पढ़ी। उन्होंने कहा सम्मोहन लाने वाला है, रूप गजब ढाने वाला है। संचालन कर रहे डॉ. विमलेश अवस्थी ने पढ़ा लौट कर फिर-फिर यहां आते रहेंगे हम, गीत वंदे मातरम, गाते रहेंगे हम। इस मौके पर बड़ी संख्या में काव्य प्रेमी मौजूद रहे।