महिलाओं के आरक्षित डिब्बे पर पुरुषों का कब्जा
जागरण की पहले पर महिलाओं को आरपीएफ ने सीट दिलवाई। इतना ही नहीं बोगी में सवार सभी पुरुषों को वहां से हटा दिया गया।
जागरण संवाददाता, कासगंज: ट्रेन में आधी आबादी के लिए एक डिब्बा आरक्षित है, लेकिन इस पर भी पुरुषों की नजर रहती है। महिलाओं के लिए इस खास बोगी में पुरुष यात्री भी बैठ जाते हैं। आरपीएफ ने जागरण की पहल के बाद ऐसे डिब्बे को खाली कराया और महिलाओं को सुरक्षित स्थान दिलाया।
ट्रेनों में अकेले सफर करने वाली महिला यात्रियों की सुविधा को रेल मंत्रालय ने हर ट्रेन में एक डिब्बा आरक्षित कर दिया है। सभी ट्रेनों में एक डिब्बा भी इंजन के पीछे या सबसे पीछे लगता है तो इसी से जुड़े थोड़ा से हिस्से में दिव्यांग यात्रियों के लिए भी स्थान होता है। राजकीय रेलवे पुलिस और रेलवे पुलिस बल की अनदेखी से ऐसे डिब्बों पर पुरुष यात्री कब्जा कर लेते हैं। महिलाओं के इस डिब्बे में पुरुषों की संख्या ज्यादा होने से महिला यात्रियों को असुविधा महसूस होती है।
सोमवार को कासगंज से मथुरा जाने वाली दोपहर 12.10 वाली सवारी गाड़ी की महिला बोगी में तमाम पुरुष यात्री जाकर बैठ गए। कई महिलाओं को जगह नहीं मिली तो वह खड़ी हो गईं। एक महिला यात्री ने यह जानकारी दैनिक जागरण को दी। इस समस्या को दैनिक जागरण ने रेलवे सुरक्षा बल थाना प्रभारी को बताया तो उन्होंने तत्काल पुलिस बल भेजकर डिब्बे को खाली कराया और महिलाओं को बैठाया।
-बढ़ रही है भीड़-
आने वाले दिनों में ईद और रक्षा बंधन को लेकर बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों पर भीड़ बढ़ रही है। तमाम महिला यात्री अकेले ही ससुराल से मायके जा रही हैं। ऐसे में आरक्षित डिब्बे पर पुरुषों का कब्जा परेशानी बनेगा। रेलवे सुरक्षा बल के थाना प्रभारी सुरजीत झा ने बताया कि स्टेशन पर ट्रेन रुकने के दौरान मौजूद पुलिस बल ऐसी जानकारी सामने आने पर डिब्बे को खाली कराते हैं। ट्रेन में चल रहा एस्कॉर्ट भी महिला डिब्बे पर नजर रखता है। -182 पर करें कॉल -
महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बे पर यह पुरुषों का कब्जा है और सीट नहीं मिल पा रही है तो वहां से हटकर 182 नंबर पर कॉल करें। सभी जानकारी बताएं। कुछ ही देर में रेलवे सुरक्षा बल और राजकीय रेलवे पुलिस मौके पर आकर डिब्बे को खाली कराएगा। -जागरूकता का अभाव-
अक्सर महिला डिब्बे में चलने वाली शिक्षिका रेनू ¨सह ने बताया कि महिलाओं के लिए आरक्षित ट्रेन के डिब्बे को लेकर जानकारी और जागरूकता का अभाव है। इसी कारण पुरुष इस डिब्बे में सवार हो जाते हैं, महिलाएं भी कुछ नहीं कह पाती हैं।