राजस्थानी शैली में बनें हरिपदी गंगाजी के घाट
तीर्थ नगरी सोरों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के चौमुखी विकास के लिए नागरिकों के साथ अधिकारियों ने बैठक की। इसमें सोरों के विकास के लिए सुझाव मांगे गए।
जागरण संवाददाता, कासगंज: तीर्थ नगरी सोरों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के चौमुखी विकास के लिए कार्य योजना बनाने और सुझावों को शामिल करने के लिए बैठकों का आयोजन शुरू हो गया है। धाíमक नगरी के पौराणिक स्वरूप को निखारने के लिए कलक्ट्रेट में हुई बैठक में हरि पदी गंगाजी के घाटों को राजस्थानी शैली में विकसित करने और लहरा रोड पालिका चुंगी के भवन में तुलसी संग्रहालय स्थापित करने समेत कई सुझाव दिए गए।
शुक्रवार शाम को तीर्थनगरी सोरों के पौराणिक विकास के लिए आयोजित बैठक में नागरिकों ने धाíमक स्वरूप और आधुनिक विकास की बात कही। एडीएम न्यायिक मनीष कुमार नाहर की अध्यक्षता में हुई बैठक में अमित अनाड़ी ने धाíमक नगरी में सूर्य मंदिर बनाए जाने का सुझाव दिया तो रामेश्वर महेरे ने लहरा गांव से लहरा के कच्चे घाट तक पक्का मार्ग बनाने की बात रखी। द्वारिकी तिवारी ने हर पदी के घाटों को राजस्थानी शैली में विकसित करने की बात कही।
बैठक में डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित ने तीर्थनगरी के पार्कों का सुंदरीकरण आधुनिक तरीके से करने के साथ लहरा रोड स्थित पालिका की चुंगी की जमीन पर तुलसी संग्रहालय स्थापित करने का सुझाव दिया। भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने सोरोंवासियों से तीर्थ नगरी के बेहतर विकास के लिए सुझाव देने और गरिमा बनाए रखने को कहा।कार्यदाई संस्था एमान आíकटेक्ट के इंजीनियर अब्दुल रऊफ ने नागरिकों से आगे भी मोक्ष नगरी के सुझाव और विकास के लिए ऐसे ही बैठक करने की बात कही।
एडीएम न्यायिक मनीष कुमार नाहर ने तीर्थ नगरी के सुंदरीकरण और बेहतर विकास के लिए और अच्छे सुझाव देने को कहा। बैठक में पालिकाध्यक्ष मुन्नी देवी, संपूर्णानंद भारद्वाज, योगेश चौधरी, यशोधर रावत, सुनील तिवारी, संजय दुबे, जयप्रकाश दुबे, कमाल हसन रहमानी, राकेश पांडे, आदित्य काकोरिया, महेशानंद त्रिवेदी, संजय उपाध्याय, नंदकिशोर तिवारी, डॉली शर्मा, सुभाष आदि पालिका सभासद और गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
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नाराजगी भी झलकी- धाíमक नगरी सोरों के पौराणिक महत्व से जुड़े विकास के मंथन और ¨चतन को आयोजित इस बैठक में तीर्थ नगरी के पौराणिक विद्वानों को नहीं बुलाए जाने पर नाराजगी भी झलकी। स्थानीय नागरिकों की नाराजगी को देखकर एडीएम ने 15 दिन बाद होने वाली अगली बैठक में ऐसे विद्वानों को बुलाए जाने की बात कही तो मामला शांत हो गया।