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हरिपदी गंगा की गंदगी साफ करेंगे कछुए

पहले हरिपदी गंगा के पानी की जांच होगी फिर ऑक्सीजन स्तर भी देखा जाएगा। वन विभाग के सर्वे के बाद वैज्ञानिकों की टीम आएगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 07:00 AM (IST)
हरिपदी गंगा की गंदगी साफ करेंगे कछुए
हरिपदी गंगा की गंदगी साफ करेंगे कछुए

कासगंज, जागरण संवाददाता। प्रदूषण से कराह रही हरिपदी गंगा को अब मछली और कछुए साफ करेंगे। यहां हरी शैवाल(काई) सबसे बड़ी समस्या है। शाकाहारी कछुए और खास किस्म की मछली इसे खा लेते हैं। वन विभाग ने कछुए और मछली छोड़ने की तैयारी कर ली है। मगर, इससे पहले पानी में आक्सीजन के स्तर की जांच कराई जाएगी। वन विभाग सर्वे करेगा और फिर वैज्ञानिकों की टीम जांच करेगी।

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हरिपदी गंगा सोरों स्थित एक कुंड है। यहां अस्थि विसर्जन को एमपी और राजस्थान के साथ प्रदेश के कई जिलों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। इसका जल बेहद प्रदूषित हो चुका है। यहां काई बड़ी मात्रा में है। बीते दिनों बड़ी संख्या में मछलियां मर गई थीं। इस कुंड को शासन की जीआइएस मैपिंग में प्राचीन आद्रभूमि (वेटलैंड) माना गया है। वन विभाग इसे साफ करने को नए सिरे से योजना तैयार कर रहा है। वाइल्ड लाइफ से परामर्श लिया गया। विशेषज्ञों ने शाकाहारी कछुए एवं शैवाल खाने वाली मछलियों को पानी में छोड़ने की सलाह दी है। वन विभाग इसका प्रोजेक्ट बनाने से पहले पानी की जांच कराने की तैयारी कर रहा है। प्रदेश स्तर की वैज्ञानिक टीम पानी की जांच करेगी। पानी में आक्सीजन का स्तर देखकर पता किया जाएगा कि इसमें कछुए और मछली जीवित रह सकते हैं या नहीं। पानी में जीव जंतु जिंदा रहने को घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा सात मिलीग्राम प्रति लीटर से कम नहीं होनी चाहिए।

प्रभागीय वनाधिकारी दिवाकर कुमार वशिष्ठ ने बताया कि हरिपदी गंगा को आद्रभूमि में शामिल किया गया है। इसका पानी स्वच्छ करने को योजना बनाई जा रही है। प्राकृतिक तरीकों से ही पानी को स्वच्छ किया जाएगा। अभी जांच की प्रक्रिया को शुरू किया गया है।


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