कागजों में ही बिछाई लाखों की इंटरलॉकिग
भुजपुरा गांव में कई खड़ंजों के नाम पर करीब पांच वर्ष पहले लाख
कासगंज, जागरण संवाददाता : भुजपुरा गांव में कई खड़ंजों के नाम पर करीब पांच वर्ष पहले लाखों रुपये निकाल लिए। कागजों में ही इंटरलॉकिग हो गई। रोजगार सेवक के साथ सचिव की भी मिली भगत से होने वाले इस खेल की अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी। गांव की जनता ईंटों पर ठोकरें खाती रही। बीते दिनों सीडीओ की जांच में पर्दाफाश होने पर खलबली मची है।
पिछले प्रधान के कार्यकाल में लाखों रुपये की धनराशि से इंटरलॉकिग का काम दिखाया गया, लेकिन काम नहीं हुआ। चौंकाने वाली बात यह है मनरेगा के लिए ब्लॉक से जिला स्तर का निगरानी तंत्र ने भी इसके सत्यापन की जरूरत नहीं समझी। पिछले दिनों एक शिकायत के बाद में सीडीओ तेज प्रताप मिश्र ने दस अगस्त को गांव का निरीक्षण किया। ग्रामीणों ने गलियों में कभी इंटरलॉकिग न होने की बात कही। इस पर अधिकारी भी चौंक गए। लाखों रुपये की इंटरलॉकिग सिर्फ कागजों में भी बिछाई गई। सीडीओ द्वारा इस पूरे मामले की जांच की जा रही है। अभी तक की जांच में प्रकाश में आया है कि अक्टूबर 2015 में काम स्वीकृत कर लाखों की धनराशि निकाली गई थी।
---------- मौके पर नहीं पहुंचे रोजगार सेवक :
मुख्य विकास अधिकारी ने मौके पर पूर्व में गांव में तैनात रहे रोजगार सेवक को बुलाया, लेकिन वह मौके पर नहीं पहुंचे। ----------
ब्लॉक के अधिकारियों ने नहीं किया था सत्यापन : मनरेगा में लाखों के घपले का पर्दाफाश होने के बाद में एक सवाल यह भी खड़ा है कि मनरेगा कार्य की निगरानी के लिए ब्लॉक से जिला स्तर पर अधिकारी तैनात रहते हैं। ऐसे में क्या ब्लॉक स्तर पर किसी अधिकारी ने इसका सत्यापन नहीं किया था। बगैर सत्यापन के भुगतान कैसे हो गया।
----------- --इन गलियों में दिखाई इंटरलॉकिग--
नागपुर रोड से गीतम के घर तक इंटरलॉकिग एवं नाली निर्माण। गीतम के घर से रामवीर के घर तक इंटरलॉकिग।
तेज सिंह के प्लॉट से मटरू के घर तक इंटरलॉकिग। -----------
गांव में इंटरलॉकिग के कार्य में गड़बड़ी पाई गई है। पूरी जांच कराई जा रही है कि कितनी धनराशि निकाली गई। अनुमानित पांच लाख रुपये का काम हुआ है। जानकारी की जा रही है उस वक्त ब्लॉक में कौन अधिकारी तैनात थे, सभी से रिकवरी कराई जाएगी। -तेज प्रताप मिश्र
मुख्य विकास अधिकारी
कासगंज