बढ़ता जलस्तर तटवर्ती गांवों की बढ़ा रहा चिता
बैराजों से निरंतर गंगा में छोड़ा जा रहा पानी विभाग मान रहा जिले में नहीं बाढ़ की स्थिति
जागरण संवाददाता, कासगंज: बैराजों से छोड़े जा रहे पानी से गंगा में जलस्तर में बढ़ोत्तरी हो रही है। भले ही जिले में बाढ़ के हालात न हो, लेकिन गंगा का बढ़ता जलस्तर तटवर्ती ग्रामों के ग्रामीणों की चिता बढ़ा रहा रहा है। रविवार को गंगा का गैज बढ़कर 162.60 मीटर पर जा पहुंचा है, लेकिन गंगा अभी खतरे के निशान से बहुत दूर है। जिले में जब भी बाढ़ की स्थिति होती है तो सोरों, सहावर, पटियाली के तटवर्ती गांव इसकी चपेट में आते हैं। इन दिनों में यदि बीते वर्षो में गंगा की स्थिति को देखा जाए तो गंगा नदी अपने दायरे में है। सामान्य से कम बारिश होने के कारण यह स्थिति बनी हुई है। वर्षो बाद यह देखने को मिल रहा है कि गंगा नदी में पानी का उफान नहीं है। तटवर्ती ग्रामों की फसलें सुरक्षित हैं। लेकिन गंगा बढ़ता जलस्तर ग्रामीणों की चिता तो बढ़ा रहा है। उन्हें यह आशंका सता रही है कि विभाग का यह दावा कि जिले में बाढ़ की स्थिति नहीं है कहीं खोखला साबित न हो जाए। जिले में 2010 में हुई बाढ़ की त्रासदी को लोग भूले नहीं है। हजारों बीघा फसल, दर्जनों लोग बाढ़ के विभीषिका के शिकार हुए थे। यह रहा पानी का डिस्चार्ज--हरिद्वार बैराज से : 72732 क्यूसेक।
बिजनौर से : 60247 क्यूसेक।
नरौरा से : 27306 क्यूसेक।
यह है वर्तमान स्थिति
162.60 मीटर है कछला पर पानी का स्तर।
165 मीटर पर है खतरे का निशान।
'जिले में बाढ़ के हालात नहीं है। बीते वर्षो में उत्तराखंड में हुई भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति बनी थी, लेकिन इस बार ऐसी स्थिति नहीं है। बाढ़ की संभावना दिखाई नहीं दे रही है। गंगा का जलस्तर घट बढ़ रहा है।'
-अरूण कुमार
अधिशासी अभियंता सिचाई विभाग