30 लाख मिलें तो मिटे वानर राज
वन विभाग ने कराया जिले में बंदरों का सर्वे डीएम के स्तर से शासन को भेजा है प्रस्ताव
कासगंज, जागरण संवाददाता। जिले में आवारा आतंक छाया हुआ है। दुर्गा कॉलोनी हो या फिर नदरई गेट। शहर का कोई मुहल्ला ऐसा नहीं है जहां पर वानर राज न हो। सुबह से ही शहर की सड़कों से छतों तक यह छाए रहते हैं तो रात में यह बंदर गलियों में खड़े हुए वाहनों पर उछल-कूद मचाते हैं, जिससे वाहनों को नुकसान भी पहुंचता है।
बंदरों के चलते कई लोग तो छतों पर जाने से भी कतराने लगे हैं। अब तक शहर में बंदरों के आतंक के चलते कई मौत भी हो गई है तो कई लोग घायल होने के बाद अभी तक दर्द झेल रहे हैं। बंदरों के काटने का शिकार होने वालों की संख्या तो अनगिनत है। बंदरों को पकड़ कर बाहर छुड़वाने के लिए वन विभाग काफी दिन से प्रयासरत है, लेकिन हर बार धनाभाव रोड़ा बन जाता है। ऐसे में इस बार बंदरों का सर्वे कराने के बाद वन विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है, इसमें 30 लाख रुपये की मांग की गई है। उक्त प्रस्ताव को डीएम के द्वारा शासन को भेजा गया है।
सभी बंदर पकड़े बगैर खत्म नहीं होगा आतंक : वन विभाग द्वारा वक्त-वक्त पर बंदर पकड़वाए जाते हैं। बीते दिनों लाखों रुपये खर्च कर डीएम कंपाउंड के साथ तहसील से बंदर पकड़े गए थे, लेकिन इसके बाद दूसरे स्थान से बंदर यहां पर आ गए।
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12000 बंदर चिन्हित हुए हैं जिले में।
250 रुपये आता है एक बंदर पकड़ने पर खर्च।
अब तक हुए बड़े हादसे :
-मुहल्ला नाथूराम नदरई गेट में बंदरों की घुड़की से गल्ला कारोबारी संजीव माहेश्वरी की मौत।
-मुहल्ला मोहन में छत पर गए कपड़ा कारोबारी की छत से गिरकर मौत।
-अमांपुर में बंदरों की घुड़की से एक व्यक्ति हुए घायल।
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'बंदरों को पकड़ने के लिए शासन से बजट मांगा गया है। अगर बजट मिल जाता है तो फिर बंदरों को पकड़ने का काम शुरू होगा'
-दिवाकर कुमार वशिष्ठ
प्रभागीय निदेशक
सामाजिक वानिकी विभाग