Kasganj News: गंगा में उफान से गांवों पर बाढ़ का खतरा! पानी भरने के बाद प्रशासन ने दी राहत, चलवाई नाव
पहाड़ों से पानी छोड़े जाने के कारण गंगा का जलस्तर बढ़ गया है जिससे पटियाली क्षेत्र के कई गांवों में पानी भर गया है। नगला जय किशन में पुलिया टूटने से हालात और भी खराब हो गए हैं जिससे यातायात बाधित है और फसलें डूब गई हैं। प्रशासन ने नावों की व्यवस्था तो की है लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह मदद नाकाफी है।

संसू, जागरण.गंजडुंडवारा/कासगंज। पहाड़ों से बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद गंगा के जलस्तर में उतार-चढ़ाव हो रहा है। इसका असर मैदानी क्षेत्रों में है। पटियाली क्षेत्र के आधा दर्जन गांव में घुटनों तक पानी पहुंचा है। नगला जय किशन की पुलिया टूटी होने से गंगा का पानी आस-पास के गांव की ओर बढ़ रहा है। आवागमन भी प्रभावित हुआ है। प्रशासन ने यहां नाव चलवा दी है। लोग उसे आवागमन कर रहे हैं। किसानों की फसल डूब गई है। मवेशियों को चारे के लिए दूर दराज के गांव में दौड़ना पड़ रहा है।
क्षेत्र में पानी भरने के बाद प्रशासन ने दी राहत, चलवाई नाव
गंगा नदी का बढ़ता जलस्तर हर साल की तरह इस साल भी पटियाली तहसील के नीचले क्षेत्र के लोगों के लिए तबाही लेकर आया है। भारी वर्षा और गंगा के जलस्तर में उतार-चढ़ाव ने कई गांवों का संपर्क तहसील मुख्यालय से पूरी तरह तोड़ दिया है, लेकिन प्रशासन की लापरवाही ने ग्रामीणों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि सोमवार को गंगा का बहाव काफी तेज रहा।
भारी बारिश से हालात और हुए खराब
हरिद्वार, बिजनौर और नरोरा में पानी के बढ़ते स्तर के साथ-साथ भारी वर्षा ने हालात बद से बदतर कर दिए हैं। इसके बावजूद, हालातों से निपटने के लिए स्थायी समाधान आज तक नहीं निकाला गया है। वर्ष 2023 में बाढ़ में कटी सड़कों व टूटी पुलियाओं को आज तक ठीक नहीं किया गया, जिसके कारण कई गांवों में हजारों बीघा फसलें पानी में डूब गई हैं। उनका कहना है कि प्रशासन हर साल सिर्फ खानापूर्ति करता है। इस वर्ष भी गांव में पानी पहुंच गया‚ नौनिहाल पानी से निलक कर स्कूल जाते हैं परंतु कोई भी प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि हमारी तरफ ध्यान नहीं दे रहा।
इन गांवों के हालात चिंताजनक
वहीं ऐसे मे नगला दुर्जन, नगला दीपी, नगला नैनसुख, नगला चतुरी, नगला जैदई, नगला बादाम, नगला नगरा, नगला नरपत, नगला पदम, नगला हीरा, मूजखेडा और नगला हंसी सहित कई गांवों में हालात चिंताजनक हैं और आबादी तक पानी पहुंच गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में बांध न होने से हर साल यह स्थिति आती है, लेकिन प्रशासन ने इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान करने की जहमत नहीं उठाई।
राहत कार्यों में ढिलाई
प्रशासन ने भले ही स्टीमर बोट की व्यवस्था की हो, लेकिन टूटी सड़कों और जलभराव के बीच यह मदद नाकाफी साबित हो रही है। ऐसे में राहत और बचाव कार्य धीमी गति से चल रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में गुस्सा बढ़ रहा है। प्रशासन केवल ग्रामीणों से सतर्क रहने की अपील कर रहा है, लेकिन वास्तविक मदद और स्थायी समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। पटियाली क्षेत्र के लोग हर साल बाढ़ के इस कहर को झेलने पर मजबूर हैं और प्रशासनिक उदासीनता उनकी परेशानियों को और बढ़ा रही है।
गंगा में छाेड़ा गया पानी
- हरिद्वार 48,300 क्यूसेक
- बिजनौर 68,665 क्यूसेक
- नरोरा 80,447 क्यूसेक
- कछला पर गेज 162.37 मीटर
- जिले में हुई वर्षा 27 मिली मीटर
गंगा के जलस्तर में उतार चढ़ाव जारी है। पहाड़ों से लगातार बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है। हालांकि बाढ़ की स्थिति अभी नहीं है। सिंचाई विभाग की सतर्कता बरकरार है। चौकियां सक्रिय हैं। - पंकज कश्यप, एसई सिंचाई

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