कासगंज में 60 संवेदनशील स्थानों पर फोर्स, बाजारों में रौनक नहीं केवल भीड़
गणतंत्र दिवस पर तिरंगा यात्रा के बाद बवाल में हत्या का मुख्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आ गया। आज दिन धरपकड़ का दौर चलता रहा।
पुलिस की गिरफ्त में आ गया सलीम
केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा कासगंज मामले को संज्ञान में लिए जाने के बाद पुलिस-प्रशासन पर जबरदस्त दबाव था। घटना के छह दिन बाद पुलिस को चंदन गुप्ता की हत्या के मुख्य आरोपी को पकडऩे में सफलता मिली। बुधवार को एडीजी अजय आनंद ने मीडिया को बताया कि पुलिस और एसओजी दोनों ही सलीम और उसके भाइयों नसीम व वसीम पुत्र बरकत उल्लाह की तलाश में दबिश दे रही थीं। सलीम पुलिस की गिरफ्त में है। हालांकि वे गिरफ्तारी से जुड़े सवालों का जवाब देने से बचते रहे। बस इतना कहा कि उसे शहर से ही गिरफ्तार किया गया है और गोपनीय स्थान पर रखकर पूछताछ चल रही है। जल्द ही उसके दोनों भाई भी सलाखों के पीछे होंगे। आइजी डॉ. संजीव गुप्ता ने दावा किया कि सलीम ने चंदन पर गोली चलाना स्वीकार किया है।
तनातनी, नारेबाजी, पथराव, फायरिंग और भगदड़
गौरतलब है कि चंदन के पिता सुशील कुमार की ओर से इन तीनों भाइयों समेत 20 नामजद व अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। बुधवार को एक और बड़ा डेवलपमेंट रहा। घटना घटित होने के वक्त के वीडियो और फोटो भी पुलिस के हाथ लगे हैं। बड्डू नगर में यात्रा रोके जाने के बाद दोनों पक्षों में तनातनी, नारेबाजी, पथराव, फायरिंग और भगदड़ तक का घटनाक्रम इनमें कैद है। वीडियो में वर्ग विशेष के कई युवकों के हाथ में हथियार नजर आ रहे हैं। तहसील रोड पर बनाया गया एक वीडियो भी पुलिस को मिला है, जिसमें पथराव और फायरिंग के दृश्य हैं। डीएम आरपी सिंह और एसपी पीयूष श्रीवास्तव ने बताया कि इन्हें जांच के लिए भेजा जा रहा है। इनमें दिख रहे चेहरों के बारे में पड़ताल कराई जा रही है।
हत्या में प्रयुक्त तमंचा बरामद
देर शाम पुलिस ने हत्यारोपी सलीम की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त तमंचा बरामद कर लिया। एसपी पीयूष श्रीवास्तव ने बताया कि शहर के बांकनेर के पास झाडिय़ों से सलीम ने 315 बोर का तमंचा बरामद कराया है, इसी से चंदन पर गोली चलाई गई थी। उन्होंने बताया कि अब तक बलवा और हत्या के मामले में आठ मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। कुल 120 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से 40 हत्या और बलवे के मामले में जेल भेजे गए हैं। जबकि 80 लोग धारा 144 के उल्लंघन में पकड़े गए थे।
नहीं सिकने दीं सियासी रोटियां
जैसे ही कासगंज का माहौल शांत हुआ, राजनीतिक दल सक्रिय हो गए। बुधवार को कांग्रेस और रालोद नेताओं ने पीडि़त परिवारों से मिलने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस-प्रशासन ने किसी को इजाजत नहीं दी। मुस्लिम समाज के नेताओं को भी सीमा से बैरंग लौटा दिया गया। बरेली के मौलाना तौकीर रजा शहर में दाखिल होने के लिए जद्दोजहद करते रहे, लेकिन उनकी दलीलें भी दरकिनार कर दी गईं। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि कुछ भी ऐसा नहीं होने दिया जाएगा, जिससे माहौल फिर से बिगडऩे का अंदेशा हो।
कासगंज घटना की एनआइए जांच नहीं
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कासगंज में गणतंत्र दिवस के दिन तिरंगा यात्रा के दौरान हुई हिंसा की जांच एनआइए से कराने की मांग ठुकरा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने मृतक के परिवारजन को पचास लाख रुपये का मुआवजा देने एवं शहीद का दर्जा देने के संबध में कोई आदेश देने से इन्कार कर दिया। यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ एवं जस्टिस अब्दुल मोईन की बेंच ने बीजेपी पार्षद दिलीप कुमार श्रीवास्तव एवं बीजेपी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य नीरज शंकर सक्सेना एवं सामाजिक कार्यकर्ता ममता जिंदल की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया।