'आंखों' ने देखा जिंदगी का सूरज
कासगंज संवाद सहयोगी दृष्टि के बगैर दुनिया स्याह है।
कासगंज, संवाद सहयोगी : दृष्टि के बगैर दुनिया स्याह है। रोशनी के बगैर दिन भी रात। ऐसे ही दौर से गुजर रहे थे चार दृष्टिबाधित बच्चे। इन सबकी आंखों में पल रहे थे खुली आंखों से सपने देखने के सपने। बुधवार को जब उनके सपने सच हुए तो इनकी आंखों ने पहली बार जिंदगी का सूरज देखा। वह सूरज जो इन्हें अंधेरे से निकाल इनके भविष्य को रोशन करने के लिए आश्वस्त था। यह संभव हुआ बेसिक शिक्षा विभाग के सहयोग और दिल्ली के चिकित्सकों के अथक परिश्रम से।
पहल की साइटसेवर्स संस्था और समेकित शिक्षा के अफसरों ने। पिछले दिनों संस्था ने डाक्टर श्राफ हास्पिटल दिल्ली और ब्रज हेल्थकेयर एंड रिसर्च सेंटर वृंदावन के डाक्टरों के सहयोग से कासगंज में ²ष्टिबाधित बच्चों का परीक्षण किया। इनमें कुछ बच्चे ऐसे थे जिन्हें कम दिखता था और कुछ बच्चे ऐसे थे जिन्हें दिखना बंद हो गया था। बच्चे बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन समेकित शिक्षा के केंद्र में अध्ययनरत हैं और इनका नाम है अजय, आजिम, रोहित और कमलेश। आंकड़े की नजर से :
- 24 मई को दिल्ली भेजे गए थे ²ष्टिबाधित बच्चे
- 16 बच्चों को दी गई थी पूर्व में सर्जरी की सलाह
- 06 बच्चे सर्जरी के लिए भेजे गए थे
- 04 बच्चों की सफल रही सर्जरी
- 10 बच्चे बाद में भेजे जाएंगे संस्था के सहयोग से ²ष्टिबाधित बच्चों को सर्जरी के लिए भेजा गया था। दिल्ली में चार बच्चों की सर्जरी हो गई है। दो बच्चों की जल्द सर्जरी होगी। अन्य बच्चे बाद में भेजे जाएंगे।
- वीरेंद्र सिंह, जिला समन्वयक समेकित शिक्षा