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हर साल तराई में दंश दे जाती है बाढ़

हर साल गंगा में बाढ़ आती

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Aug 2022 04:03 AM (IST)Updated: Fri, 26 Aug 2022 04:03 AM (IST)
हर साल तराई में दंश दे जाती है बाढ़
हर साल तराई में दंश दे जाती है बाढ़

हर साल तराई में दंश दे जाती है बाढ़

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पटियाली, संसू : हर साल गंगा में बाढ़ आती है। बाढ़ आने से पहले उसे रोकने की तैयारी भी खूब की जाती हैं, मगर सब धरी रह जाती हैं। जिला प्रशासन की सूझ-बूझ से पिछले सालों की अपेक्षा इस बार अभी तक बहुत कुछ गनीमत रही है, मगर किसानों की सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न है। ग्रामीण परेशान हैं। पानी फसलों से बाहर निकलने के बाद ही राजस्व विभाग क्षति का आंकलन करेगा। इसके बाद ही किसानों को राहत देने का कुछ निर्णय लिया जाएगा। यह सही है कि गंगा का जलस्तर पिछले तीन दिनों से लगातार कम हो रहा है, मगर यह कह पाना असंभव है कि अब आगे जल स्तर नहीं बढ़ेगा। चूंकि वर्षा के मौसम में कभी भी बैराजों पर पानी का दबाव बढ़़ सकता है और यह पानी गंगा में अधिक मात्रा में छोड़ा जा सकता है। इसे लेकर प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है। जिलाधिकारी हर्षिता माथुर का कहना है कि वह गंगा पर पूरी तरह नजर बनाए हुए हैं। शासन को भी पल-पल की रिपोर्ट दे रही हैं। बाढ़ रोधी कार्य पहले से कर लिए गए हैं। कटानरोधी कार्य लगातार चल रहे हैं। इन किसानों की फसल डूबी गांव बरौना- बाबूराम की 12 बीघा, टोड़ीराम की 15 बीघा, रामफूल की 10 बीघा, भरतलाल की 10बीघा, रामपाल की 13 बीघा, नेकसूलाल की 15 बीघा, रामदास की 10 बीघा, सोरन सिंह की 10 बीघा, इंद्रपाल की 10 बीघा, वरमाला की 5 बीघा, ब्रजवासी की 15 बीघा, जलधारा की 15 बीघा, ओमकार की 10 बीघा, भामोदेवी की 10 बीघा, राजश्री की 12 बीघा, प्रहलाद की 10 बीघा, शकुंतला की आठ बीघा। गंजडुंडवारा के किसानों की सूची गांव मिहोला- भीष्म की आठ बीघा, दरबारी की आठ बीघा, महादेवी की दो बीघा, दीपचंद्र की दो बीघा, संतोष कुमार की दो बीघा, पूरन की दो बीघा, फुलबारी की दो बीघा, चंद्रपाल की दो बीघा, अहिवरन की दो बीघा, श्यामपाल की पांच बीघा, मेवाराम की पांच बीघा, रामप्रसाद की तीन बीघा, वीर सिंह की तीन बीघा, बहादुर सिंह की तीन बीघा, नेकसेलाल की दो बीघा, रिषीपाल की दो बीघा, सरबती की दो बीघा, राजकुमारी की पांच बीघा, रामस्वरूप की तीन बीघा, रक्षपाल की तीन बीघा, नंदराम की दो बीघा, प्यारे लाल की दो बीघा, मोहनलाल, ओमकार, प्रेमपाल, काली चरन की पांच बीघा।


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