निराश्रित गोवंश को नहीं मिल पा रहा संरक्षण
कासगंज, संवाद सहयोगी : गाय और गंगा की दशा सुधारने के लिए मुख्यमंत्री ने प्राथमिकता के आधार पर कार्य किया। अधिकारी भी उनके आदेश पर सतर्क रहे। अब धीरे-धीरे परिवर्तन हो रहा है। निराश्रित गोवंश को संरक्षण नहीं मिल पा रहा। जिले में 12 सरकारी एवं दो व्यक्तिगत गोशाला संचालित हैं। नगर निकाय, विकास विभाग एवं पशु चिकित्सा विभाग पर गोवंश की देखरेख की जिम्मेदारी है। इसके बाद भी जिले में निराश्रित गोवंश बेसहारा स्थिति में घूम रहे हैं।
वर्ष 2017 में भाजपा सरकार बनते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निराश्रित गोवंश के संरक्षण को लेकर आदेश जारी किए। हर जिले में काम होने लगा। कासगंज में भी अधिकारी हरकत में आ गए। जगह-जगह गोशाला का निर्माण कर गोवंश को संरक्षित करने का काम शुरू हो गया। इन दिनों गति मध्यम हो गई है। जिले के कस्बाई एवं ग्रामीण इलाकों में गोवंश बेसहारा घूम रहे हैं। इनके संरक्षण का जिम्मेदारों द्वारा प्रयास नहीं किया जा रहा है। जिले में कुल 14 गोशाला स्थापित हैं। इनमें 12 सरकारी एवं दो व्यक्तिगत पंजीकृत गोशाला हैं। डीएम के निर्देश पर नगर निकाय, विकास विभाग, पशु चिकित्सा विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है। विभागों की संयुक्त कार्रवाई के बाद भी निराश्रित गोवंश सड़कों पर बेसहारा होकर विचरण कर रहे हैं।
इन विभागों पर यह हैं जिम्मेदारियां
गोवंश के संरक्षण से लेकर उनकी देखरेख की जिम्मेदारी प्रमुख रूप से तीन विभागों को दी गई है। इनमें नगर निकाय, विकास विभाग एवं पशु चिकित्सा विभाग शामिल हैं। शहरी क्षेत्र में निराश्रित गोवंश को पकड़कर संबंधित गोशाला में भेजने का कार्य नगर पालिका एवं नगर पंचायत को है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र के निराश्रित गोवंश का संरक्षण कराए जाने की जिम्मेदारी विकास विभाग को सौंपी गई है। संबंधित दोनों ही विभाग गोशाला में मौजूद गोवंश की देखरेख भी करेंगे। पशु चिकित्सा विभाग गोवंश की चिकित्सा, टीकाकरण, बधियाकरण एवं टैगिंग का कार्य करता है।
पूरे जिले में है 4500 गोवंश
जिले की कुल 14 गोशाला में चार कान्हा गोशाला, सोरों, भरगैन, बिलौटी सिढ़पुरा और मोहनपुर में स्थित हैं। तीन अस्थाई गोशाला नोगवां, यकूतगंज, पिथनपुर में बनी हुई हैं। दो वृहद गोशाला पटियाली एवं पचलाना में स्थिति हैं। सभी गोशाला में 4500 गोवंश संरक्षित हैं। जबकि जिले के 450 पालक गोवंश का पालन कर रहे हैं। इन्हें नौ सौ रुपये प्रति माह भुगतान किया जाता है। इसका सत्यापन भी होता है।
स्वान एवं सूकर के संरक्षण की नहीं व्यवस्था
शहर में आवारा स्वान एवं सूकरों के संरक्षण को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई है। लोग इनकी बढ़ती जनसंख्या को लेकर काफी परेशान हैं। स्वान के काटने पर लोगों को वैक्सीन लगवाकर उपचार करवाना पड़ता है। सूकर के विचरण से गंदगी तो होती ही है। इसके साथ हादसे भी हो जाते हैं। वाहन चालक अक्सर इनकी बजह से हादसे का शिकार होते हैं। नदरई नेट निवासी बंटी सिसोदिया सहित क्षेत्रीय वाशिंदों ने पालिका को पत्र लिखकर आवारा स्वान एवं सूकरों से छुटकारा दिलाने की मांग की है।
पशुओं में फैल रहे लंपी स्किन संक्रमण को लेकर बाहरी गोवंश का गोशाला में प्रवेश पर रोक लगी हुई है। संक्रमण समाप्त होते ही जो भी निराश्रित गोवंश हैं, उसे गोशाला में संरक्षित कराया जाएगा।
- सचिन, सीडीओ