बाढ़ ने छीना चैन
गंगा की बाढ़ से तराई में जीवन की नाव पानी की नाव के सहारे चल रही है। कीचड़ और दलदल से गांव बेहाल है तो बीमारी झपट्टा मार रही हैं।
जागरण संवाददाता, पटियाली: गंगा की बाढ़ से तराई में जीवन की नाव पानी की नाव के सहारे चल रही है। कीचड़ और दलदल से गांव बेहाल है तो बीमारी झपट्टा मार रही हैं। बैराजों से छोड़े जा रहे पानी से नदी में मध्यम बाढ़ के हालात बने हुए हैं तो दर्जनों गांव प्रभावित हैं। ऐसे गांवों के विद्यार्थी घरों में रहने को मजबूर हैं।
बदायूं और कासगंज को जोड़ने वले गंगा नदी के कादरगंज पुल को पार कर ओम नगरिया चौराहे से पूर्व दिशा में सात किलो मीटर रास्ता नापने के बाद जागरण टीम शुक्रवार को नगला विमाई पहुंची तो आगे की राह पानी में समाई थी। नौली फतुहाबाद के लिए नाव में बैठकर गांव पहुंचे तो वहां भी नीची गलियों में पानी उफान ले रहा था।
बालक बीमार, पशु लाचार
चारों ओर पानी से घिरे गांव के हालात नारकीय थे- कीचड़- दलदल से लबालब गांव के बच्चे वायरल से पीड़ित थे तो बड़े भी बीमार पड़े थे। पशुओं का तो हाल बेहाल था। रात हो या दिन, पशु दल-दल में ही गुजारा कर रहे थे।
दिनचर्या प्रभावित: चारों ओर बाढ़ का पानी भरा होने से ग्रामीणों की दिनचर्या भी प्रभावित हो रही है। तमाम परिवारों के रहने का ठिकाना झोपड़ी भी पानी से बेकार हो गई हैं।
स्वास्थ्य टीमों का इंतजार:
ग्रामीणों ने बताया कि पानी कम हुआ है। कीचड़ और दलदल बना है, बीमारी बढ़ रही है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की कोई टीम यहां नहीं पहुंची है।
प्रशासन ने डलवाई नाव:क्षेत्रीय लेखपाल पंकज सक्सेना ने बताया गांव में आने-जाने के लिए डलवाई गई नाव का इंतजाम प्रशासन ने किया है। एसडीएम के निर्देश पर यह काम शुरु हुआ है। अब नाव से ग्रामीणों को आने-जाने में सहूलियत हो रही है।
देखेंगे हर इंतजाम:
गांव का मामला संज्ञान में है। स्वास्थ्य विभाग की टीम जल्द गांव पहुंचेंगी। इसके अलावा और भी गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, वहां भी निगाह रख रहे हैँ। धीरेंद्र ¨सह, एसडीएम।