बंद तो नहीं हुई पर महंगी हो गई पॉलीथिन
प्रतिबंध के 15 दिन बाद भी पालीथिन का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। फर्क इतना आया है कि यह महंगी हो गई है।
जागरण संवाददाता, कासगंज: जिले में रोक के 15 दिन बाद भी पॉलीथिन खूब चल रही है। ढकेल और फड़ वालों के अलावा बड़े दुकानदार भी इसका भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। शहर में इसका व्यवसाय करने वालों ने इसे रोक के नाम पर महंगा कर दिया है। पहले दौ सौ रुपये किलो में बिकने वाली पॉलीथिन अब ढाई सौ रुपये से ऊपर पहुंच गई है। रोक पर कार्रवाई भी सुस्त हो गई है।
जिले समेत समूचे प्रदेश में राज्य सरकार ने 15 जुलाई से 50 माइक्रॉन तक की पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगा दिया था। पर्यावरण को खतरनाक बताई जाने वाली पॉलीथिन पर बैन लगने के बाद समूचे जिले में जागरूकता के कार्यक्रम शुरू हुए तो तमाम सामाजिक संगठन भी मैदान में कूद पड़े। शहर और कस्बों में पॉलीथिन के दुष्प्रभाव बताने और लोगों को जागरूक करने को होíडग्स भी लगा दिए गए। शुरुआत में तो सब ठीक-ठाक रहा, इसके बाद पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने का अभियान दम तोड़ गया। शहर में पॉलीथिन पहले जैसी मिलती थी, आज भी वैसे ही मिल रही है। लोग बेखौफ सब्जी- फल और खाद्य पदार्थ पॉलीथिन में भरकर ले जाते हुए दिखाई देते हैं। शहर में सौ ग्राम पॉलीथिन का पैकेट अब पांच रुपये तक महंगा मिलने लगा है। चोरी-छिपे थोक की दुकानों पर सप्लाई दी जा रही है। रोक और चोरी छिपे बेचे जाने से ऐसी पॉलीथिन पचास रुपये प्रति किलो तक महंगी हो गई है।
जागरूकता की दिखी कमी
पॉलीथिन बंद कराने को लेकर शहर और कस्बों में जागरूकता की साफ कमी दिखाई दे रही है। पॉलीथिन को लेकर अधिकारी भी बयान देने तक सीमित रह गए हैं, तो सामाजिक संगठन भी फोटो ¨खचाने तक सिमट गए हैं। ऐसे में जागरूकता के अभाव के चलते ढकेल, खोमचा और फड़ वाले जमकर पॉलीथिन का इस्तेमाल कर रहे हैं और ग्राहकों को दे रहे हैं। बिना थैला बाजार आ रहे ग्राहकों को पॉलीथिन में सामान मिल रहा है, इसलिए वे अभी जागरूक नहीं हो पा रहे हैं।
जल्द होगी कार्रवाई: शहर और कस्बे समेत समूचे जिले में पॉलीथिन पर प्रतिबंध को लेकर जागरूकता की जाएगी। फड़, ढकेल और छोटे दुकानदारों को समझाया जाएगा, नागरिकों को भी जागरूक बनाया जाएगा। वैसे अब अगला चरण थर्माकोल के गिलास, दौना, प्लेट के अलावा प्लास्टिक के गिलास पर प्रतिबंध को लेकर है, इसलिए अब कार्रवाई भी की जाएगी।- मनीष नाहर, एडीएम न्यायिक- प्रभारी स्थानीय निकाय।