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आसमान में प्रदूषण की परत, जांच के इंतजाम नहीं

जिले में प्रदूषण नियंत्रण विभाग तो खुला लेकिन जांच कानपुर नगर में होती

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 01:02 AM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 06:22 AM (IST)
आसमान में प्रदूषण की परत, जांच के इंतजाम नहीं
आसमान में प्रदूषण की परत, जांच के इंतजाम नहीं

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : जिले में प्रदूषण नियंत्रण विभाग का क्षेत्रीय कार्यालय है जरूर, लेकिन यह केवल छोटी जांचों व अनापत्ति प्रपत्र निर्गत करने तक ही सीमित है। जिले में वायु, जल या फिर अन्य प्रदूषण के स्तर की जांच के लिए कोई इंतजाम व संसाधन ही नहीं हैं। ऐसे में सांसों में घुल रहा जहर जिदगी लगातार कम कर रहा है।

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जिले के रनियां व जैनपुर औद्योगिक क्षेत्र हैं। यहां लगभग चार सौ से अधिक फैक्ट्रियां हैं, जिसमें धुआं उगलने वाली डेढ़ सौ से अधिक फैक्ट्रियां हैं। इन फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं वायुमंडल में घुल रहा है।

यह भी कम नहीं

ईंट भट्ठा उद्योग भी जिले का प्रमुख उद्यम है। लगभग 400 से अधिक ईंट भट्ठों से निकल रहा जहरीला धुआं आबोहवा को खराब कर रहा है। आसपास रहने वाली आबादी को भी जहरीली सांस लेने को मजबूर होना पड़ रहा है।

वाहनों की भागमभाग

शहरी क्षेत्रों में वाहनों से निकलने वाले धुएं से भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। जिले में प्रदूषण नियंत्रण विभाग, एआरटीओ व यातायात प्रशासन की ओर से प्रदूषण की जांच मात्र कागज में देखने तक ही सीमित रह गई है। यही वजह है जहर उगल रहे वाहन जीवन के लिए खतरा बन रहे हैं। सुबह से रात तक मुख्य चौराहों और सड़कों के पास धुएं का स्तर अधिक होता है। ऐसे राहगीर, दुकानदार, रेहडी व खोमचा लगाने वालों को सांस, एलर्जी की बीमारियां चपेट में ले रही हैं।

जिले के वाहनों की स्थिति

वाहन वर्ष-2017 मौजूदा

दुपहिया वाहन 128000 129000

हल्के निजी वाहन 007000 007500

भारी यात्री वाहन 000800 0008300

भारी माल वाहन 004450 004550

फैक्ट्रियां आबोहवा में घोल रहीं जहर

औद्योगिक क्षेत्र रनियां व जैनपुर में चार सौ से अधिक इकाइयां हैं। इसमें कई फैक्ट्रियों में मानक ऊंचाई की चिमनियां नहीं लगाई गई हैं। इनसे निकलने वाला धुआं हवा में जहर घोल रहा है। कई फैक्ट्रियां ऐसी भी हैं जो बिना पंजीयन व दमकल विभाग की अनापत्ति लिए बिना ही संचालित हैं। साथ ही हाईवे से गुजरने वाले वाहनों की भी जांच के कोई इंतजाम नहीं हैं। इन पर रोकथाम के साथ प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर से कोई कारगर प्रयास भी नहीं किया गया है। विभाग के पास प्रदूषण जांच के लिए कोई उपकरण व संसाधन नहीं हैं। ऐसे में जिले में फैल रहे वायु प्रदूषण का आकलन नहीं हो पा रहा। तीन माह से किसी उद्यम की रिपोर्ट नहीं भेजी गई हैं। न ही किसी औद्योगिक इकाइयों को नोटिस दी गई है। शिकायत मिलने पर नमूना संकलित कर लखनऊ प्रयोगशाला भेजा जाता है।

आनंद कुमार, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी बढ़ते प्रदूषण से सांस के रोगी बढ़ रहे हैं। मौजूदा समय में पराली जलाए जाने से धुंध छाए रहने की स्थिति देखने को मिल रही है। बढ़ा प्रदूषण सांस की परेशानी की प्रमुख वजह है। लोगों में फेफड़े व लिवर की बीमारी भी बढ़ रही है। औद्योगिक इकाइयों और वाहनों से निकलने वाले प्रदूषित धुएं से चिड़चिड़ापन, एलर्जी होना आम बात है। वायु में प्रदूषण का स्तर अधिक होने से कैंसर का भी खतरा रहता है।

-डॉ. निशांत पाठक, चिकित्सक जिला अस्पताल यूं बढ़ रहा हवा में प्रदूषण

- हाईवे से गुजरते डीजल, पेट्रोल वाहनों से निकलने वाला धुआं

-निकायों या अन्य स्थानों पर जलने वाला कूड़ा

-सड़कों के किनारे चल रहे निर्माण कार्य

-खेतों में जल रही पराली और कूड़ा

-ईट भट्ठों से निकलने वाला धुआं

-औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से निकलने वाला धुआं


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