नौकरी छोड़ अब फैला रहे शिक्षा का उजियारा
जागरण संवाददाता कानपुर देहात एक गरीब बच्चे की पढ़ाई की ललक ने विवेक की सोच ही बदलकर
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : एक गरीब बच्चे की पढ़ाई की ललक ने विवेक की सोच ही बदलकर रख दी। एक मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी छोड़ वह गांव आ गया और गरीब बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देने लगा। इसके साथ ही तमाम बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला भी दिलवा दिया। बच्चों को विवेक निश्शुल्क शिक्षण सामग्री भी उपलब्ध करा रहे हैं।
अकबरपुर के नेहरू नगर निवासी विवेक यादव बताते है कि पांच साल पहले वह नोयडा की एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते थे। कुछ जरूरतों की वजह से वह वापस यहां आ गए। इस बीच पड़ोस के एक गरीब परिवार के बच्चे नें पढ़ने की बात कही। उसकी बात सुनकर वह पढ़ाने लगा तो उसकी ललक देख उसने इसे मिशन बना लिया। पढ़ाना शुरू किया तो आसपास के उसके चार पांच साथी भी पढ़ने आ गए। यह देख उनके वकील पिता राममनोहर यादव व मां रामजानकी ने विरोध करने की बजाए उनका हौसला बढ़ाया और कहा कि इससे उन्हें बेहद खुशी है कि मेरा बेटा किसी का सहारा बन रहा। धीरे धीरे यह सफर चलता गया और उन्होंने कई जरूरतमंदों को कापी किताब भी उपलब्ध कराई इसके पिता के अलावा कुछ सामाजिक लोगों ने भी बढ़कर मदद की। कहते है अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए जो फीस देने में सक्षम में है उन्हें भी वह क्लास देते है लेकिन अधिकतम समय गरीब बच्चों को शिक्षित करने में बीत रहा है। विवेक कहते है कि यही बच्चे जब पढ़कर आगे सफलता की सीढ़ी चढेंगे तो बस यही उनकी गुरू दक्षिणा होगी। करीब 50 बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला भी दिला चुके हैं।