मिडडे मील की 'हांडी' में पकती नियमों की 'खिचड़ी'
बचों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे स्कूल मेन्यू के नाम पर चल रही मनमानी
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: बच्चे मन लगा कर स्कूल में पढ़ें और अधिक संख्या में पहुंचें, यही उद्देश्य है प्राथमिक, जूनियर स्कूल में बच्चों को मिडडे मील परोसे जाने का। इन नियमों का कितना पालन हो रहा है यह स्कूलों की दशा देख पता चलता है। स्कूलों में मेन्यू का पालन तो होता है, लेकिन जरा रसूलाबाद के तुलसी नगर के प्राथमिक स्कूल में तैयार तहरी पर गौर करिए। दूर से इसका रंग तो पीला दिख रहा है, लेकिन इसमें चावल, नमक, हल्दी के अलावा और कुछ नहीं है। यही हाल अधिकांश स्कूलों में पड़ताल के दौरान दिखा। कुल मिला कर मिडडे मील की हांडी में बच्चों को नियमों की खिचड़ी पकाकर परोसी जा रही है।
स्कूलों में तैयार होने वाले दोपहर के भोजन पर गौर करने के लिए कुछ स्कूलों का नजारा देखते हैं। शिवली कस्बे के पूर्व माध्यमिक बालिका विद्यालय में पिछले 10 साल से कार्यरत रसोइया चूल्हे पर ही खाना पकाती आ रही हैं। रसोइया सुमन, रानी तथा मुन्नी कहती हैं कि अक्टूबर 2010 में विद्यालय का गैस सिलिडर चोरी हो गया था। तब से उन लोगों को चूल्हे पर ही बच्चों के लिए मिडडे मील तैयार करना पड़ रहा है। बरसात के दिनों में तो लकड़ियां गीली हो जाने पर खाना बनता ही नहीं है। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका निकहत फातिमा ने बताया कि कई बार मैथा ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी को जानकारी देकर सिलिडर दिलाए जाने की फरियाद की गई है, लेकिन उनके द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। झींझक, रसूलाबाद के स्कूलों की पड़ताल में भी सामने आया कि यहां तहरी के नाम पर केवल पके चावल हल्की नमक मिलाकर परोसे गए। रसूलाबाद में कई स्कूलों में मेन्यू के अनुसार के दूध का वितरण नहीं हुआ।
यह हैं नियम)
बुधवार को बच्चों में तहरी परोसी जाती है। इसमें मौसमी सब्जी, सोया बड़ी, दाल की बड़ी, टमाटर, मटर, आदि मिलाना होता है। बच्चों में हर बुधवार को चीनी मिला हुआ गर्म दूध का वितरण होता है।
- सभी स्कूलों में नियमानुसार मिडडे मील देने के आदेश हैं, यदि कहीं भी लापरवाही हो रही है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी, बीएसए को इस मामले में पड़ताल के निर्देश दिए जाएंगे।
राकेश कुमार सिंह, डीएम कानपुर देहात