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जमीन की सेहत सुधरी तो चमक उठी किस्मत

जमीन की सेहत सुधरी तो चमक उठी किस्मत

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 11:41 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 06:06 AM (IST)
जमीन की सेहत सुधरी तो चमक उठी किस्मत
जमीन की सेहत सुधरी तो चमक उठी किस्मत

संवाद सूत्र, रूरा: खेती बाड़ी में समय-समय परीक्षण और जैविक खाद का प्रयोग किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ ही जमीन को पौष्टिक बनाकर उसकी आयु लंबी कर रही है। यह प्रक्रिया अपनाने वाले क्षेत्र के कई किसान अपनी किस्मत संवारने के साथ पर्यावरण के हित का भी ध्यान रख रहे हैं।

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मौजूदा समय में किसान रसायनिक खादों का स्वाद चख कर फसल व जमीन का नुकसान सहने के बाद अधिकांश किसानों ने जैविक खादों की ओर अपना रुख किया है, जिसमें वह लोग अपनी जागरुकता खेती पर दिखाकर विशेषज्ञ लोगों की रॉय से जमीन का परीक्षण और फिर उसी की आवश्यकता के हिसाब से उसमें पोषक तत्व मिलाकर भरपूर फसल कर सफल किसान बने हुए हैं। किसानों में दिख रही खुशहाली

जैविक खाद के उपयोग से लहलहाती फसल को दिखाते हुए डगराहा बनीपारा के किसान प्रदीप शर्मा कहते हैं मृदा परीक्षा के बाद वर्तमान समय में अपनी पांच बीघा की खेती को करके वर्षों से रसायनिक खाद को छोड़कर जैविक के द्वारा कर रहे हैं। किसान का कहना है कि रसायनिक खाद की कीमत से आधी कीमत पर जैविक खाद काम कर रही है और उपज में बराबरी का असर है।

रामपुर के महेंद्र सिंह किसान भी रसायनिक खाद को छोड़कर जैविक का इस्तेमाल कर रहे हैं। मृदा का परीक्षण करते उचित मात्रा में खाद का इस्तेमाल करते हुए वर्तमान समय में आलू की फसल उपजाई है। इनका कहना है कि रसायनिक खाद का प्रयोग कर खेती की उपज क्षमता बहुत कम हो गई थी। जानकारों और कृषि विभाग से संपर्क कर जमीन का परीक्षण कराया तबसे बराबर जैविक खाद का इस्तेमाल करने से स्थिती यह है की आलू उपज रसायनिक खाद से ज्यादा हो रही है। मेरी खेती को देखकर अन्य लोग भी इस ओर प्रेरित हो रहे हैं।

नकसिया गांव के रामू दिवाकर खेती पर ही आश्रित हैं। कहते हैं कि रासायनिक खाद उपयोग करते करते खेती चौपट हो गई थी। लगता था कि खेती बेकार हो जाएगी लेकिन गोबर की खाद और जैविक खाद का यह असर हुआ कि पुराने स्वरूप पर खेती आ गई है। उपज भी अच्छी होने से आमदनी डेढ़ गुना बढ़ी है।

अंबरपुर गांव के किसान मोतीलाल बतलाते हैं कि एक दशक से रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया है, पहले गोबर की खाद अब गोबर और जैविक दोनों का प्रयोग आंख बंद कर करता हूं इससे जमीन की सेहत अच्छी हो गई है। उसने बताया कि फसल के बजाय जैविक खाद सब्जी में डेढ़ से दोगुना पैदावार करती है। जिला कृषि अधिकारी सुमित पटेल ने कहा कि किसानों को मृदा परीक्षण करते खेती करने की ओर अग्रसर किया जा रहा है। इसका उन्हें फायदा भी मिल रहा है।


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