सौहार्द की मिठास, फैसला आते ही मुबीन ने कराया मुंह मीठा
झींझक की खमहैला रोड पर दुकान दिखी हिदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल नगर से लेकर गांव और कस्बों में दिखा एकता और अमन-चैन का माहौल
अजय दीक्षित, कानपुर देहात
शनिवार की सुबह। फैसला अभी आया नहीं था। इंतजार की बेसब्री जरूर झलक रही थी। झींझक की खमहैला रोड पर हार्डवेयर की एक दुकान, जो शालू मिश्रा की है, वहां लल्लू खां व मुबीन खां के साथ देवकी नंदन भी आ गए हैं। फैसले को लेकर सभी उत्सुक हैं और मोबाइल पर लगातार नजरें रखे चर्चा में मशगूल हैं। कहते हैं, 'देखो फैसला चाहे जो होए अपन जैसा देश कहूं नहीं है, हम लोगन का तो यहीं मिलजुल कर रहिना है..।' बातचीत जारी ही है कि पता चला कि फैसला आ गया है। फैसले का पता चलते मुबीन दुकान से लड्डू ले आए और सभी का मुंह मीठा कराया। यह देख वहां शारदा, शंकर, बाबू सिंह, शहबाज खां, अनवर खां, प्रभात भी आ जाते हैं। सभी एक-दूसरे को लड्डू खिलाते हैं।
सौहार्द की मिठास और खुशबू केवल यहीं तक सीमित नहीं दिखी। अकबरपुर नगर से लेकर कस्बा और गांवों का माहौल कुछ ऐसा ही देखने को मिला। सुबह नौ बजे अकबरपुर नगर के व्यस्त चौराहे पर दृश्य था कि कलीम, मनोज और जलीस आपस में बात भी कर रहे है, चाय की चुस्की भी ले रहे हैं। बात तो घर-बाजार की चल रही है, लेकिन जलीस ने अयोध्या के फैसले की बात बीच में जोड़ दी। टोकते हुए मनोज बोले- 'देखो फैसला चाहे जो हो, लेकिन संस्कार और संस्कृति हमारी शान है। हम हिदू, तुम मुसलमान इन्हें जोड़ दो तभी तो हिदुस्तान है।' उनकी बातें सुन रहे बुजुर्ग अनवर कहते हैं- 'हां, लाला सही कही। क्या मंदिर क्या मस्जिद, हम लोगों तो सभी ऊपर वाले के ही बंदे हैं। सभी के खून का रंग लाल ही होता है।' रसूलाबाद के जनरल स्टोर संचालक यासीन परवेज की दुकान पर भी फैसला सुनने को लेकर भीड़ जमा है। कोर्ट के निर्णय के बाद यासीन स्वयं खुश दिखे और लोगों का मुंह भी मीठा कराया।