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संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति का प्राणतत्व

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: संस्कृत शिक्षा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ाने के लिए बुधवार

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 07:53 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 07:53 PM (IST)
संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति का प्राणतत्व
संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति का प्राणतत्व

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: संस्कृत शिक्षा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ाने के लिए बुधवार को अकबरपुर इंटर कालेज के बच्चों ने जागरूकता रैली निकाली। इस मौके पर इंटर कालेज में हुई गोष्ठी में वक्ताओं ने संस्कृत भाषा को भारतीय संस्कृति का प्राणतत्व बता इसके प्रसार प्रचार का आह्वान किया।

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अकबरपुर इंटर कालेज के प्रधानाचार्य भारत ¨सह ने बुधवार सुबह हरी झंडी दिखाकर छात्र -छात्राओं की जागरूकता रैली को रवाना किया। रैली रूरा चौराहा,स्टेट बैंक रोड, ओवर ब्रिज चौराहा, नेहरू नगर से ब्लाक रोड होते हुए फिर से कालेज पहुंची। जागरूकता रैली में शामिल छात्र -छात्राएं जयतु संस्कृतम जयतु भारतम का उद्घोष करते हुए निकले। संस्कृत शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक किया। कालेज में हुई गोष्ठी में प्रधानाचार्य भारत ¨सह ने कहा कि संस्कृत भाषा अन्य भाषाओं की तरह केवल अभिव्यक्ति का साधन मात्र ही नहीं है,बल्कि मनुष्य के संपूर्ण विकास की कुंजी भी है। इस रहस्य को जानने वाले मनीषियों ने प्राचीन काल से ही संस्कृत को देव भाषा और अम्रतवाणी के नाम से परिभाषित किया है।संस्कृत के वरिष्ठ शिक्षक आचार्य महेंद्र पियूष ने कहा कि संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नहीं, बल्कि संस्कारित भाषा है, इसीलिए इसका नाम संस्कृत है। जबकि संस्कृत प्राध्यापक डा. चंद्रशेखर पांडेय ने कहा कि संस्कृत भाषा न होकर जीवन दर्शन है। यह भाषा जीने की कला सिखाती है। इस मौके पर महेश दीक्षित, विपिन दीक्षित, सालिक राम, उमाशंकर, गौरव, दुर्गेश, सर्वेश, बलराम आदि मौजूद रहे।


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