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फसल बीमा क्लेम पाने को दर-दर भटकते अन्नदाता

जागरण संवाददाता कानपुर देहात प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अफसरों की बेपरवाही ने किसा

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Mar 2019 06:42 PM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 06:42 PM (IST)
फसल बीमा क्लेम पाने को दर-दर भटकते अन्नदाता
फसल बीमा क्लेम पाने को दर-दर भटकते अन्नदाता

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अफसरों की बेपरवाही ने किसानों की कमर तोड़ दी। योजना की सफलता का जिस जोर-शोर से दावा किया गया, जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है। कई वर्ष बीतने के बाद भी बीमा कंपनी शहर में अपना कोई दफ्तर नहीं बना सकी है। इस वजह से किसान फसल बीमा संबंधी शिकायतें करने के लिए दर-दर भटकते हैं। उनकी फसलों का निर्धारित 48 घंटे के अंदर सर्वे नहीं हो पाता, फिर बीमा कंपनी क्लेम देते समय इतने सवाल खड़े कर देती है कि अधिकांश किसान फसल नष्ट होने के बाद भी क्लेम से वंचित हो रहे हैं। कृषि विभाग की मानें तो वर्ष इस रबी सीजन में 69484 किसानों की बीमित फसलों का 23 करोड़ 91 लाख 7266 रुपये प्रीमियम बीमा कंपनी में जमा हुआ। पिछले दिनों कई बार तेज बारिश से नुकसान हुआ तो सैकड़ों किसानों ने क्लेम के लिए दावा किया। बीमा कंपनी ने 8 किसानों को ही उपयुक्त पाया। सर्वे के दौरान चार दावे निरस्त कर दिये और क्लेम के नाम पर बचे महज चार किसानों को अभी तक एक धेला भी नहीं दिया है।

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केस-एक

सरवनखेड़ा ब्लाक के दुआरी गांव निवासी किसान रामबरन ने बताया कि पिछले खरीफ सीजन में केसीसी से 3 लाख रुपये ऋण लेकर दस बीघा खेत में धान व बाजरा की बुवाई की। तेज बारिश से फसल बर्बाद हुई तो कृषि व बीमा कंपनी को सूचना दी। कार्रवाई न होने पर 7 अगस्त को संपूर्ण समाधान दिवस अकबरपुर में शिकायत की। कृषि अधिकारी ने 29 अगस्त को बीमा कंपनी को फसल बर्बाद का सत्यापन करते हुए क्षतिपूर्ति देने के निर्देश दिए, लेकिन अभी तक क्लेम नहीं मिल सका है।

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केस- दो

सरवनखेड़ा निवासी किसान धर्मेंद्र सिंह का कहना है कि बारिश से फसल बर्बाद होने पर कृषि व राजस्व कर्मियों ने मौके पर आकर सर्वे किया था। इसके बावजूद लापरवाही करते हुए उनकी फसल बर्बाद की सूची गजनेर में जोड़ दी गई। इससे क्लेम नहीं मिल सका। जबकि खरीफ में धान फसल बुवाई के लिए केसीसी से 2.25 लाख रुपये का ऋण लिया था।

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खरीफ सीजन में 102 किसानों को क्लेम दिलाया जा चुका है। रबी में क्राप कटिग के बाद भुगतान होगा। शिकायत मिलने पर सर्वे के लिए बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों को निर्देशित किया जाता है।

-विनोद कुमार यादव (उपनिदेशक कृषि)


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