सेटेलाइट बता रहा कहां और कब जलाई गई पराली
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने जिले में बताए पराली जलने के 51 स्थल रसूलाबाद व अकबरपुर तहसील के सबसे अधिक मामले चिह्नित
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण पराली जलाने पर बेहद सख्त हो गया है। अब इसकी निगरानी सेटेलाइट से हो रही है। जिलेवार कहां और कब पराली जली इसकी हकीकत सेटेलाइट बता रहा है। इसके बाद प्रशासन पर शिकंजा कस गया है। पराली जलाने की घटनाएं छिप नहीं पाएंगी। वहीं प्रशासन गलत बयानी नहीं कर पाएगा। किसानों पर भी कार्रवाई लगभग तय है।
हार्वेस्टर से फसल कटाई के बाद बचे फसल अवशेष यानी पराली को खेत में ही जलाने के बहुसंख्य मामलों से वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है। दिल्ली से सटे राज्यों में पराली जलाने से पिछले दिनों केंद्रीय राजधानी के दृश्यता शून्य के स्तर तक पहुंच गई थी जबकि यह धुंध बढ़कर कानपुर देहात व शहर तक पहुंच गई थी। आंखों में जलन व सांस लेने की दिक्कत लोगों ने महसूस की। दिल्ली से हो रही निगरानी में नवंबर की शुरुआत से मौजूदा समय पर सेटेलाइट के जरिए की गई निगेहबानी में कुल 51 स्थलों पर पराली जलाने की घटनाएं पकड़ी गई। सेटेलाइट से तहसीलवार अक्षांश व देशांतर स्थिति के अनुसार पराली जलाने का समय व स्थल चिह्नित कर ब्योरा भेजा गया है। आसमान से हो रही निगरानी से अब पराली जलने के मामलों में राजस्व कर्मियों हेरफेर नहीं कर पाएंगे। सेटेलाइट से मिले ब्योरा के अनुसार कई मामलों में प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने की स्थिति मिली थी। हरकत में आए प्रशासन ने ताबड़तोड़ सर्वे कराया। किसानों को जुर्माना नोटिस देने के साथ ही लेखपालों व राजस्व निरीक्षकों पर भी कार्रवाई की जा रही है। सेटेलाइट ने पकड़ी पराली जलाने की घटनाएं
तहसील स्थल
अकबरपुर 15
रसूलाबाद 15
सिकंदरा 08
डेरापुर 08
भोगनीपुर 04
मैथा 01
कुल स्थल 51
पराली जलाने से नकार रहा था मैथा तहसील प्रशासन
पराली जलाने की कोई घटना मैथा तहसील क्षेत्र में हुई है इससे मैथा तहसील प्रशासन अब तक इन्कार कर रहा था। अलबत्ता सेटेलाइट से अक्षांश व देशांतर के जरिए काशीपुर गांव में पराली जलाए जाने का स्थल चिह्नित किया गया है। सेटेलाइट रिपोर्ट के अनुसार 26 नवंबर को लगभग दो बजे काशीपुर गांव में पराली जलाई गई।