बनने लगी लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, कुम्हारों के बहुरे दिन
संवाद सहयोगी रसूलाबाद दीपावली को लेकर कुम्हारों के चाक तेजी से घूमने लगे है। जगह-जगह
संवाद सहयोगी, रसूलाबाद : दीपावली को लेकर कुम्हारों के चाक तेजी से घूमने लगे है। जगह-जगह लक्ष्मी व गणेश की मूर्ति बनना शुरू हो गई है। अभी से व्यापारी कई जगह कुम्हारों से इन मूर्तियों को ले जाना शुरू कर दिए हैं और उनके पास मांग भी पहले से शुरू हो गई है। लॉकडाउन के बाद से अब इनके दिन बहुरने लगे हैं।
दीपावली पर्व आते ही मिट्टी के गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों की मांग के चलते रसूलाबाद के रहीम नगर, अकबरपुर व मूसानगर क्षेत्र में जहां कुम्हारों के कई परिवार रहते हैं, उनकी व्यस्तता बढ़ जाती है। करीब तीन सप्ताह पहले से ही वह लोग इस काम में जुट जाते हैं। प्रत्येक परिवार लगभग 20 से 40 हजार रुपये तक इन मूर्तियों को बेचकर कमा लेता है। रहीम नगर निवासी राजकुमार प्रजापति ने बताया कि वह और उनके कुनबे के अमर सिंह, संदीप, बाबूलाल, हरिशंकर, ओम प्रकाश, श्याम सुंदर, प्रभु दयाल, मुन्नी देवी आदि सभी लोग इस काम में लगे हुए हैं। सबसे छोटी गणेश-लक्ष्मी की की मूर्तियां 120 रुपये प्रति दर्जन के हिसाब से बिकती हैं। गणेश-लक्ष्मी की बड़ी मिट्टी की मूर्ति की जोड़ी 50 रुपये प्रति जोड़ी के हिसाब से बिक जाती है। यहां जनपद के अलावा कानपुर के व्यापारी भी यहां से माल खरीदकर ले जाते हैं। कानपुर ले जाने का भाड़ा उन्हें वहां का व्यापारी दे देता है।
बच्चे व महिलाएं भी करते मदद
मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी बनाने और उन्हें सांचे में ढालने, रंग रोगन आदि काम परिवार के छोटे बच्चे व महिलाएं भी करतीं हैं। महिलाओं ने बताया कि हम लोग शुरू से घर के लोगों को काम करते देखकर सीख गए और अब बच्चे भी आकर्षक रंग मूर्तियों में भरकर उन्हें आकर्षक बना देते हैं।