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शिव की कृपा से पार होगा भवसागर

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: भगवान शिव कल्याणकारी हैं। उनकी कृपा से ही सफलता के

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 06:53 PM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 06:53 PM (IST)
शिव की कृपा से पार होगा भवसागर
शिव की कृपा से पार होगा भवसागर

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: भगवान शिव कल्याणकारी हैं। उनकी कृपा से ही सफलता के साथ भव सागर पार होना संभव है। जगत कल्याण के लिए भगवान शिव ने हलाहल का पान किया था। इसलिए कहा गया है अमृत पान करने वाले को देव कहते हैं और विषपान करने वाले को महादेव कहते हैं।

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त्यागी बाबा आश्रम सरैंया के महंत सूर्यानंद सरस्वती का कहना है कि भगवान शंकर ने समुद्र मंथन से निकले विष का पान श्रावण मास में ही किया था। इसके बाद हलाहल की गर्मी को शांत करने के लिए देवताओं ने उनके मस्तक पर जलाभिषेक किया था। इसलिए इस पावन माह में जलाभिषेक व शिव आराधना का विशेष महत्व है।शिव भक्ति का यह माह पुण्य काल माना जाता है। शिव की पूजा-अर्चना, अभिषेक, जलाभिषेक, बिल्व पत्र सहित अनेक प्रकार से की जाती है। इस माह के सोमवार को शिव की उपासना भौतिक सुखों को देने वाली होती है। भगवान शंकर द्वारा विष पीकर कंठ में रखना और उससे हुई दाह के शमन के लिए गंगा और चंद्रमा को अपनी जटाओं और सिर पर धारण करना इस बात का प्रतीक है कि मानव को अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए। खास तौर पर कटु वचन से बचना चाहिए, जो कंठ से ही बाहर आते हैं और व्यावहारिक जीवन पर बुरा प्रभाव डालते हैं। ¨कतु कटु वचन पर संयम तभी हो सकता है, जब व्यक्ति मन को काबू में रखने के साथ ही बुद्धि और ज्ञान का सदुपयोग करे। शंकर की जटाओं में विराजित गंगा ज्ञान की सूचक है और चंद्रमा मन और विवेक का। गंगा और चंद्रमा को भगवान शंकर ने उसी स्थान पर रखा है जहां मानव का भी विचार केन्द्र यानि मस्तिष्क होता है।


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