तेल मसाले का पैसा नहीं तो कैसे बनेगा बच्चों का भोजन
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: मध्याह्न भोजन योजना (मिड डे मील या एमडीएम) में पांच माह से कन
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: मध्याह्न भोजन योजना (मिड डे मील या एमडीएम) में पांच माह से कनवर्जन कास्ट न मिलने से प्रधानाध्यापकों को दुष्वारियां उठानी पड़ रहीं हैं। इससे विद्यालय में मैन्यू के हिसाब से भोजन बनाने में परेशानी हो रही है। इसके लिए प्रधानाध्यापक बीएसए ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि एमडीएम प्राधिकरण से भुगतान होते ही विद्यालयों को राशि दे दी जाएगी। जबकि प्रधानाध्यापकों का कहना है कि सारा सामान उधार आता है। दुकानदार भुगतान न होने से सामान देने से मना कर रहे हैं।
जनपद में 1604 परिषदीय प्राथमिक विद्यालय व 674 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें कुल पंजीकृत बच्चों की संख्या 1,43,985 है। सभी परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए इस योजना के तहत दोपहर का भोजन दिया जाता है। इसके लिए रोजाना का अलग अलग मैन्यू निर्धारित है। इसमें खाद्यान्न कोटेदार के माध्यम से आता है, जबकि दाल, सब्जी, तेल, मसाला, दूध, फल, गैस व सफाई व्यवस्था के लिए साबुन आदि की खरीददारी प्रधानाध्यापक को अपने पास से करनी होती है। इसके लिए कनवर्जन कास्ट के रूप में बाद में भुगतान किया जाता है। एमडीएम प्राधिकरण ने प्राथमिक विद्यालय में 4.13 रुपये व उच्च प्राथमिक स्कूल में 6.18 रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से कनवर्जन कास्ट निर्धारित किया है। रोजाना भोजन बनाने के लिए प्रधानाध्यापक अपने पास से खर्च करता है। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कनवर्जन कास्ट का भुगतान हो गया, लेकिन पिछले पांच महीने से प्राथमिक स्कूलों के एमडीएम कनवर्जन कास्ट का भुगतान नहीं हो सका है। इससे भोजन बनाने में प्रधानाध्यापकों के सामने आर्थिक संकट आ रहा है। बीएसए संगीता ¨सह ने कहा कि उच्च प्राथमिक स्कूलों के मिड डे मील के कनवर्जन कास्ट का भुगतान हो चुका है। प्राथमिक विद्यालयों के लिए एमडीएम प्राधिकरण को पत्र भेज गया है। प्राधिकरण से धन आने पर उसे विद्यालयों में भेजा जाएगा।