दस्तक दे-देकर हारी पर नहीं मिला आवास
संवाद सहयोगी रसूलाबाद (कानपुर देहात) बहा का प
संवाद सहयोगी, रसूलाबाद (कानपुर देहात): बहा का पुरवा निवासी एक दिव्यांग विधवा महिला मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर अधिकारियों के चौखट पर दस्तक दे-देकर हार चुकी है। कोई उसकी सुनवाई नहीं कर रहा है। कॉलोनी स्वीकृत भी हुई तो उसका पूरा पैसा नहीं मिल सका। इसी कारण से आज तक उसके स्वयं के आवास का सपना भी अधर में लटका है।
तहसील रसूलाबाद क्षेत्र के बहा का पुरवा की सुनीता आंख व पैरों से दिव्यांग है। उसने बताया कि उसके पति हरिश्चंद्र पल्लेदारी व मेहनत मजदूरी करते थे। बीमारी के कारण कुछ साल पहले उनकी मौत हो गई थी। इधर, जैसे तैसे प्रधान ने 30 हजार की एक कॉलोनी दी थी। सुनीता ने आरोप लगाया कि कॉलोनी के लिए मिले रुपयों में कुछ रुपये तत्कालीन प्रधान ने ले लिए थे। बाकी बचे रुपयों में पांच हजार पति के इलाज में लगा दिए। जो रुपये बचे उससे मकान बनवाया कितु वह भी पूरा नहीं बन पाया, केवल दीवार ही बन पाई हैं। एक दिन तेज आंधी आने से एक दीवार गिर गई। लगातार आपदाओं से जूझती दिव्यांग के सामने दु:ख का पहाड़ ही टूट पड़ा। वह किसी तरह घास फूस की झोपड़ी बना अपने दो बच्चों को लेकर उसी में आज तक रह रही है। इसकी एक पुत्री प्रियंका 18 वर्ष शादी के योग्य हो गई तो उसको और चिता सताने लगी है। मौजूदा प्रधान एमपी सिंह उसने बताया कि राशन कार्ड बच्चों के आधार कार्ड ना होने के कारण नहीं बन सका था। उन्होंने प्रयास करके इसे बनवा दिया है। सारे आवश्यक कागजात जमा कर दिए जाने के बावजूद आपूर्ति कार्यालय से दो महीने हो जाने के बावजूद भी अभी उसे मिला नहीं है। वह कोटेदार से कहकर कुछ राशन उसे दिलवा देते हैं।