6 घंटे यातायात रोके जाने से 9 घंटे जाम रहा राजमार्ग
संवाद सहयोगी, घाटमपुर: क्षमता से 7 गुना यातायात वाले कानपुर सागर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-86)
संवाद सहयोगी, घाटमपुर: क्षमता से 7 गुना यातायात वाले कानपुर सागर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-86) पर एक धाíमक जुलूस के गुजरने के लिए 7 घंटे तक यातायात रोकना पड़ा। जिसके चलते वाहनों के आड़ा तिरछा फंसने से मंगलवार सुबह साढ़े 8 बजे तक भीषण जाम लगा रहा। यातायात रोके जाने व जाम के चलते दर्जनों रोडवेज बसें, कारें व एंबुलेंस इसमें फंसी रही और जंगल में भूखे प्यासे फंसे लोग रात भर सुरक्षा को लेकर भी परेशान रहे। इस दौरान राजमार्ग के दोनों छोर पर वाहनों की कतारें 20-20 किमी दूरी तक पहुंच गई।
दो लेन वाले सागर राष्ट्रीय राजमार्ग की क्षमता 3 हजार पीसीयू (पैसेंजर कार युनिट) की है, लेकिन बुंदेलखंड में मौरंग खदानें शुरू होने के बाद से इस राजमार्ग पर लोड 20 हजार पीसीयू तक जा पहुंचा है, जिसमें अभी बढ़ोत्तरी की संभावना है। क्षमता से 7 गुना यातायात होने के चलते रेंगते हुए गुजरने वाले वाहन कई घंटे देरी से गंतव्य तक पहुंचते हैं।
उधर सोमवार शाम नगर में नागलीला आयोजन की शोभायात्रा में भारी भीड़ उमड़ने के चलते सायं 5 बजे से ही कानपुर रोड का यातायात रोक दिया गया था। शोभायात्रा के सायं 7 बजे कूष्मांडा मंदिर पहुंचने के बाद करीब एक घंटे के लिए वाहनों का आवागमन शुरू किया गया, लेकिन साढ़े 8 बजे शोभायात्रा के वापसी के लिए रवाना होते ही यातायात दोबारा रोकना पड़ा। शोभायात्रा के रात साढ़े 12 बजे मूसानगर रोड की ओर मुड़ने के बाद ही राजमार्ग पर वाहनों को गुजरने की अनुमति प्रदान की गई। यातायात रोके जाने के चलते राजमार्ग के हमीरपुर छोर पर वाहनों की कतार करीब 20 किमी दूर आनूपुर मोड़ व कानपुर छोर पर बिधनू नहर तक वाहनों की कतारें पहुंच चुकी थी।
यातायात रोके जाने के दौरान वाहनों के आड़ा तिरछा खड़े होने व चालकों के सो जाने के चलते पूरी रात जाम लगा रहा। जाम में रोडवेज की दर्जनों बसें, कारें व एंबुलेंस भी फंसी रही। जिन पर सवार लोग भूख प्यास से परेशान होकर सुरक्षा को लेकर परेशान रहे। जाम का सिलसिला मंगलवार सुबह 9 बजे तक रहा। जिसके बाद किसी प्रकार चालू हुए यातायात में फंसे वाहन रेंगते हुए गंतव्य को रवाना हुए।
प्रभारी निरीक्षक दिलीप कुमार ¨बद ने बताया कि जाम खुलवाने के लिए सुबह साढ़े 3 बजे तक वह खुद रोड पर मौजूद थे। लेकिन चालकों के सो जाने और वाहनों के आड़ा तिरछा फंसने से यह स्थिति पैदा हुई है।