बाढ़ तो उतर गई, मुसीबत जारी है..
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: जिंदगी खानाबदोश बनाने वाली बाढ़ अब उतरने लगी है लेकिन मुस
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: जिंदगी खानाबदोश बनाने वाली बाढ़ अब उतरने लगी है लेकिन मुसीबत जारी है। क्षेत्र के एक सैकड़ा गांवों के संपर्क मार्ग कट गए हैं। गृहस्थी नष्ट हो चुकी है। खाने को अन्न का दाना तक नहीं बचा। तमाम गांव ऐसे हैं जहां अभी भी पानी भरा है जो धीरे-धीरे कीचड़ का रूप लेता जा रहा है। इससे संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा भी मंडरा रहा है।
रसूलाबाद के तीन दर्जन गांवों का रास्ता बाढ़ ने पूरी तरह काट दिया है। रनियां के सिहुरा गांव के अंदर तो पानी नहीं है लेकिन घरों के अंदर के हालात अभी रहने लायक नहीं हैं। चलगांव की गलियां कीचड़ से भर चुकी हैं। लोग बाहर निकलते भी हैं तो घुटनों तक पैर कीचड़ में घुस जाते हैं। यही हाल शिवली के आधा दर्जन गांवों का है।
बस तबाही का मंजर दिखता है
मैथा ब्लाक के बगुलिया गांव की रामरती के यहां बर्तन, खाना, बिस्तर सब बाढ़ के पानी में तबाह हो चुका है। पीड़ितों का दर्द होंठो पर बरबस ही छलक आता है। कहते हैं कि प्रशासन के झूठे आश्वासन से पेट नहीं भरता। एक समय का खाना मिल भी जाए तो बच्चों का पेट कैसे भरें।
सब बर्बाद, ढह गए मकान
रनियां क्षेत्र के करचल निवासी रणधीर यादव के घर में तालाब का पानी भरने से सब बर्बाद हो गया। गांव के रविनाथ यादव और महेश कुशवाहा का घर गिर गया। वहीं सिहुरा गांव के देशराज, सूरज अभी भी तिरपाल डालकर सड़क पर ही रह रहे हैं। मैथा ब्लाक के रायपुर गांव निवासी मथुरा का मकान भी ढह चुका है। घर में रखा अनाज व गृहस्थी का अन्य सामान नष्ट हो चुका है। इसी गांव के अशोक भी बाहर ही रहने को मजबूर हैं। बगुलाही गांव के प्रेम कुमार के मकान के बाहर पानी भरा है। रामगढ़ गांव के चारो ओर अभी भी पानी है।
संपर्क मार्ग कटे
डेरापुर तहसील के गांव चिरौली, सरगांव, पिसवाखेड़ा, जगदीशपुर, बनी पारा, सिठमरा, जिनई मार्ग अड़रे पुरवा के संपर्क मार्ग पूरी तरह कट चुके हैं। वहीं मड़ौरी गांव के पास ¨रद नदी के पुल की दोनों ओर सड़क कट चुकी है।