पयार न जलाएं किसान, दान करने के साथ बना लें खाद
जागरण संवाददाता कानपुर देहात पयार प्रबंधन किस तरह से किया जाए इसके लिए अकबरपुर तहसी
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : पयार प्रबंधन किस तरह से किया जाए इसके लिए अकबरपुर तहसील क्षेत्र बाढ़ापुर गांव में किसान चौपाल का आयोजन हुआ। कृषि विभाग के अधिकारियों ने खेतों में पयार जलाने से होने वाले नुकसान की जानकारी देकर इससे बचने के लिए प्रबंधन की सलाह दी। गोशाला में दान करने को प्रेरित किया। वहीं वेस्ट डीकंपोजर का प्रयोग कर खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने की तकनीकी बताई गई व इसका निश्शुल्क वितरण किया गया।
खेतों में धान की फसल कटने के बाद किसान पयार को आग लगाकर खेतों में जला देते हैं, जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति नष्ट होने के साथ वातारण प्रदूषित होता है जो आम जनमानस के लिए बेहद हानिकारक है। पयार प्रबंधन को लेकर अकबरपुर तहसील क्षेत्र के बाढ़ापुर गांव में किसान चौपाल का आयोजन हुआ। तकनीकी प्रबंधक शिवमंगल सिंह ने किसानों को बताया कि खेत में पड़े पयार में आग लगाने पर मिट्टी से पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं तो वहीं कीट मित्र भी मर जाते हैं। पयार को हम गोशाला में देकर बेसहारा मवेशियों के लिए मदद कर सकते हैं। प्राविधिक सहायक कुलदीप व सहायक तकनीकी प्रबंधक जगत सिंह ने पयार प्रबंधन के लिए सबसे बेहतर वेस्ट डीकंपोजर का प्रयोग करने का तरीका बताया। इस मौके पर किसान विजय सिंह, मोनू अवस्थी, विश्वनाथ पांडेय, पप्पू पांडेय, ब्रजलाल, सुशील सेंगर, बीटू द्विवेदी, अभिषेक द्विवेदी मौजूद रहे।
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ऐसे करें वेस्ट डीकंपोजर का प्रयोग
प्लास्टिक के बड़े ड्रम में 200 लीटर पानी लें और उसमें दो किलो देसी गुड़ डालें इसके बाद बड़े डंडे की मदद से गुड़ को पानी में अच्छी तरह मिलाएं गुड़ के घुल जाने पर 100 मिलीलीटर वेस्ट डीकंपोजर मिलाकर बड़े डंडे की मदद से अच्छी तरह घोलकर इसके बाद ड्रम का मुंह अच्छी तरह ढक दें। चार से छह दिन में घोल तैयार हो जाएगा। इसे स्प्रे मशीन की मदद से खेत में पड़े पयार पर छिड़काव कर दें या पलेवा करते समय खेत के पास नाली में टपका विधि से घोल खेत में पहुंचाएं ओट आने तक पूरा पयार गलकर मिट्टी में मिल जाएगा जो बेहतर खाद का काम कर बोई जाने वाली फसल के लिए पर्याप्त पोषक तत्व प्रदान करेगा।