आजादी का संदेश सुनते ही खुशी से झूम उठे
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: 1947 में आजादी की पूर्व संध्या पर स्वतंत्र भारत की घोषणा ह
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात:
1947 में आजादी की पूर्व संध्या पर स्वतंत्र भारत की घोषणा हुई, रेडियो पर आजादी का संदेश सुनते ही सब लोग खुशी से झूम उठे थे। यह जानकारी देते हुए बुजुर्ग सेनानी रघुराज ¨सह आजादी का संघर्ष याद कर जोश में भर जाते हैं।
देश स्वतंत्रता दिवस की 71 वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। आजादी के दीवानों ने अपने जज्बे, जुनून व देश प्रेम की भावना से ओत प्रोत होकर अपना सब कुछ खोकर हमें आजादी दिलाई। हालाकि मौजूदा समय में देश गरीबी, भ्रष्टाचार, जातिवाद, आतंकवाद, बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है। इन समस्याओं से देश उभरे इसकी जिम्मेदारी अब नई पीढ़ी के कंधों पर है। यदि युवाओं को सच्चा मार्गदर्शन मिल जाए तो भारत को विश्व गुरू बनने से कोई नहीं रोक सकता।
संदलपुर ब्लाक के पल्हनापुर गांव निवासी स्वतंत्रता सेनानी रघुराज ¨सह ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर यह बात कही। आजादी के संस्मरण पूछने पर 93 वर्ष की उम्र में भी वह जोश से भर उठते हैं। उन्होने बताया कि 20 वर्ष की उम्र में गांधी जी से प्रेरित होकर 1941 में आठ माह 24 दिन तक बहराइच, लखनऊ व कानपुर की जेल में रहे। बहराइच जेल में जुल्म का विरोध करने पर एक माह तक तन्हाई बैरक में रखा गया था। उन्होने वर्ष 1947 में आजादी की पूर्व संध्या के संस्मरण की याद करते हुए बताया कि रात्रि में 12 बजकर एक मिनट पर स्वतंत्र भारत की घोषणा हुई, जिसे रेडियो पर प्रसारित किया गया। आजादी का संदेश सुनते ही वह लोग खुशी से झूम उठे थे। सुबह होते ही उनके साथ कसोलर के जंगीलाल, दनियापुर के बनवारी लाल, उरसान के बाबूराम व कामता प्रसाद भारत माता की जयघोष करते हुए प्रभात फेरी पर निकले तथा तिरंगा फहराकर आजादी का जश्न मनाया। उन्होने बताया कि 15 अगस्त 1947 को पूरा देश आजादी का उत्सव मना रहा था। उत्साहित लोग सड़कों पर नाच रहे थे। हर तरफ तिरंगा लिए लोग दौड़ रहे थे। कुछ चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे थे कि देश आजाद हो गया। मैं भीड़ के पास पहुंचा तो मुझे भी तिरंगा थमा दिया गया। मेरे परिजन भी वहां मौजूद थे। सभी के साथ मैं भी भारत माता की जय व वंदे मातरम के नारे लगाने लगा। वहीं जुरिया के शिवराम पांडेय, मंगलपुर के रामाधार त्यागी की अगुवाई में लोगों ने मंगलपुर से प्रभात फेरी निकालकर संदलपुर व डेरापुर तक मार्च किया।
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इनसेट -
देश में समरसता की लड़ाई शेष
कानपुर देहात: वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रघुराज ¨सह का कहना है कि भारत तो आजाद हो गया लेकिन अभी सामाजिक समरसता की लड़ाई शेष है, इसके लिए युवाओं को आगे आना होगा। मेहनत, ईमानदारी व अनुशासन में रहकर देशहित में जो भी हो वह करें। उन्होंने कहा कि विश्व में सबसे ज्यादा युवा भारत में ही हैं। यदि युवा पीढ़ी अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा व तन्मयता से करेगी तो देश फिर से सोने की चिड़िया बन जाएगा। नई पीढ़ी देश की प्रगति के लिए शिक्षा, उद्योग, कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हुए देश के विकास, समृद्धि समानता, सदभाव, समरसता, आत्मनिर्भर बनाने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। भारत को पुन: विश्व गुरु के सम्मान तक ले जाने के लिए आत्म विश्वास के साथ प्रयास हों। स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ पर गरीबी, भ्रष्टाचार, समाजवाद, जातिवाद, आंतकवाद मुक्त स्वच्छ भारत के सजाने व संवारने के लिए संकल्प लें।