डॉक्टर न संसाधन, 'वेंटीलेटर' पर अस्पताल
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : लोगों के इलाज का जिम्मा संभाले जिला अस्पताल डाक्टरों व सं
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात :
लोगों के इलाज का जिम्मा संभाले जिला अस्पताल डाक्टरों व संसाधनों की कमी से खुद ही बीमार हैं। लंबित परियोजनाओं के अधर में लटके होने से स्वास्थ्य सेवाओं को संजीवनी नहीं मिल पा रही है। जिला अस्पताल खुद ही 'वेंटीलेटर' पर चल रहे हैं और इलाज के लिए मरीज भटकने को मजबूर हैं।
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स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी, लटकी जाचें
जिला पुरुष अस्पताल अकबरपुर में 25 के सापेक्ष महज 16 डाक्टर तैनात हैं। यहां दो रेडियोलाजिस्ट के पद सृजित हैं, लेकिन मौजूदा समय में एक भी तैनात नहीं है। जिला अस्पताल से 29 जुलाई 2016 को रेडियोलाजिस्ट के स्थानांतरण के बाद दूसरे की तैनाती नहीं हुई। दो साल से यहां के मरीजों को जहां अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिल पा रही है, एक्सरे की सुविधा से भी मरीज वंचित हैं। इसी तरह हड्डी रोग अनुभाग में एक भी डाक्टर की तैनाती नहीं है। यहां नेत्र सर्जन, सामान्य सर्जन, आर्थों सर्जन, चर्मरोग विशेषज्ञ आदि के एक-एक पद अरसे से रिक्त हैं। यही हालत जिला महिला अस्पताल की है जहां 12 के सापेक्ष नौ डाक्टरों की ही तैनाती है। इससे मरीजों को समुचित उपचार मुहैया नहीं हो पा रहा है।
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शोपीस बना ट्रामा सेंटर व मेटरनिटी वार्ड
दो नेशनल हाईवे व दो स्टेट हाईवे के चलते दुर्घटना जोन बने जिले में औसत हर दिन हादसे में एक मौत होती है और दो लोग घायल होते हैं। उपचार की समुचित व्यवस्था न होने से गंभीर घायलों के लिए जिला अस्पताल महज रेफर सेंटर बना है। यहां 172.12 लाख रुपये की लागत से करीब एक साल पहले ट्रामा सेंटर बनकर तैयार हो चुका है। पहले सपा व हाल ही में भाजपा के प्रभारी मंत्रियों ने इसका लोकार्पण भी किया, लेकिन डाक्टरों, स्टाफ व संसाधनों की कमी से यह महज शोपीस बना है। जिला महिला अस्पताल में संस्थागत प्रसव के लिए 1920.69 लाख रुपये लागत से सौ शैय्या के मेटरनिटी वार्ड का भी यही हाल है। भवन निर्माण पूरा होने के बाद भी संसाधन व स्टाफ की कमी से इसका संचालन अधर में लटका है।
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अधूरी परियोजनाएं
जिला अस्पताल में 153.26 लाख की लागत वाले प्लास्टिक सर्जरी व बर्न यूनिट भवन का निर्माण वर्ष 2012 में शुरू हुआ था। इसमें भूतल का प्लास्टर सहित, प्रथम तल स्लैब सहित पूर्ण हो चुका है। दूसरी किस्त न मिलने पर धनाभाव में कार्य पिछले साढ़े तीन साल से ठप है। इसके लिए पुनरीक्षित बजट के लिए शासन में लंबित प्रस्ताव की मंजूरी को हरी झंडी मिल गई है, लेकिन बजट मुहैया न हो पाने से आगे का काम रुका है। इसी तरह जिला अस्पताल परिसर में 40 लाख की लागत से बन रहे ब्लड बैंक भवन व तीन करोड़ की लागत से आइसीयू भवन का काम धीमी गति से चलने से बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उम्मीद अधूरी है।
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जिला अस्पताल में स्थिति
जिला पुरुष अस्पताल : 70 बेड
जिला महिला अस्पताल : 30 बेड
डाक्टरों की उपलब्धता
अस्पताल स्वीकृत तैनात रिक्त
जिला अस्पताल पुरुष - 25 - 16 - 9
जिला अस्पताल महिला- 12 - 9 - 3
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कहते हैं जिम्मेदार -
विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी के संबंध में शासन को अवगत कराया जा चुका है। रेडियोलाजिस्ट न होने से अल्ट्रासाउंड व एक्सरे की सुविधा देने में अवरोध है। अस्थि रोग के चिकित्सक न होने से संविदा डाक्टर से इलाज करवाया जा रहा है।
-डा.पंकज श्रीवास्तव, सीएमएस जिला अस्पताल
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ट्रामा सेंटर व जिला महिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में स्टाफ व उपकरणों की व्यवस्था के लिए प्रयास किया जा रहा है। ब्लड बैंक व आइसीयू के भवनों के निर्माण कार्य में तेजी लाने का निर्देश कार्यदायी संस्थाओं को दिया गया है। शासन से बर्न यूनिट भवन के लिए बजट मांगा गया है। धन उपलब्ध होते ही कार्य प्रारंभ कराया जाएगा।
-सुरेंद्र कुमार रावत, सीएमओ कानपुर देहात।
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