शिव की कृपा से संभव है काल पर विजय
मृत्युंजय शिव संसार की समस्त औषधियों के स्वामी हैं। मृत्यु के नियंत्रक,आरोग्य और स्वास्थ्य के प्र
मृत्युंजय शिव संसार की समस्त औषधियों के स्वामी हैं। मृत्यु के नियंत्रक,आरोग्य और स्वास्थ्य के प्रदाता भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र से काल पर भी विजय प्राप्ति संभव है। जटिल और तनाव युक्त जीवन में इस मंत्र से जहां आकस्मिक दुर्घटनाओं से जीवन की रक्षा हो सकती है। असाध्य रोगों का निवारण भी किया जा सकता है। भाव,श्रद्धा तथा भक्ति से इस महामंत्र का जप करने पर भयंकर व्याधियों से मुक्ति के साथ दीर्घायु, शन्ति, धन-संपत्ति, मोक्ष व सद्गति की प्राप्ति भी संभव है।
मोहनपुर नौबस्ता स्थित बुद्धेश्वर महादेव मंदिर के महंत सूबेदार का कहना है कि सारा संसार जिस कालकूट विष व नागों से भयभीत रहता है उसे भगवान शिव अपने गले में धारण करते हैं। भगवान शिव ने कालकूट विष पीकर देवताओं को अभयदान दिया। इससे स्पष्ट है कि उन्होंने मृत्यु पर विजय प्राप्त की है,वे अमृत रूप हैं, इसलिए उन्हें मृत्युंजय कहते हैं। सोमवार, भगवान भोलेनाथ का दिन है, इस दिन भांग, धतूरा और शहद से पूजा करने से भगवान शंकर प्रसन्न होकर शक्ति और बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करते हैं। शिव¨लग पर सावन के सोमवार को गंगाजल या दूध चढ़ाने से पापों से मुक्ति भी संभव है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव के दो स्वरूप बताए गए हैं। एक स्वरूप में महादेव अपने भक्तों को अभय देने वाले विश्वेश्वर स्वरूप हैं वहीं दूसरे में भगवान शिव दुष्टों को दंड देने वाले महाकाल स्वरूप में विद्यमान हैं। शिवजी का विश्वेश्वर स्वरूप अत्यंत ही सौम्य और शांत हैं यह भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है। वहीं रौद्र रूप वाले महाकाल का रूप भयानक और विकराल होता है। इनकी पूजा से भक्तों को किसी प्रकार डर नहीं रहता। मृत्यु पर जय प्राप्त करने वाले और अमृत का लाभ प्रदान करने वाले महा मृत्युंजय मंत्र के जप महाकाल प्रसन्न होकर मनुष्य को रोग, दु:ख व अकालमृत्यु से मुक्ति प्रदान करते हैं।