लहरों का कहर: बह गया दाना, उजड़ गए आशियाना
मक्का बाजरा उड़द तथा अन्य फसलें बाढ़ में हुई तहस नहस कचे और पक्के सभी मकानों पर मंडरा रही मुसीबत
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: अब कुछ ही समय बाकी था मक्का, बाजरा, उड़द लगभग पकने को थी कि अचानक आई बाढ़ ने फिर लगातार दूसरे साल किसानों के पेट पर वार कर दिया। किसानों के खेतों में लगभग तैयार हो चुकी फसल बाढ़ ने पूरी तरह से उजाड़ दी। लहरों के वेग ने कच्चा हो या पक्का मकान किसी भी आशियाने को नहीं छोड़ा। कोई ढह गया तो कुछ दरक गए। बाढ़ अब भले ही नीचे उतरने लगी है, लेकिन लहरों ने जो तबाही मचाई है उसका दर्द किसानों को पूरे साल कचोटता रहेगा। जिन क्षेत्रों में बाढ़ का कहर रहा उन तटीय क्षेत्र में अच्छी फसल तैयार थी। कारण कि वहां बारिश कम होने के बाद भी नदियों और नहरों का सहारा था। पिछले साल मैथा, भोगनीपुर तथा सिकंदरा तहसील क्षेत्र के दो सौ से अधिक गांव में जुलाई-अगस्त के दौरान बाढ़ का कहर था। इससे फसलें पूरी तरह चौपट हो गई थीं। इस बार सितंबर माह में भोगनीपुर तथा सिकंदरा तहसील के करीब एक सैकड़ा गांवों में यमुना के उफान का असर दिख रहा है। औसतन देखें तो 50 हजार से अधिक आबादी पर इस बाढ़ का असर हुआ है। अगस्त के आखिरी सप्ताह व सितंबर के शुरुआत में दो से तीन बार यमुना का जलस्तर 107 मीटर तक पहुंचा था, लेकिन बाद में कम हो गया था। इससे फसलों को काफी नुकसान हुआ था, लेकिन किसान संतुष्ट थे कि तब बहुत कुछ बच गया था पर आखिरी में आई बाढ़ ने तो किसानों का सब कुछ छीन लिया। धान, मक्का, उड़द, मूंग, बाजरा की फसल कुछ समय बाद घर आने वाली थी। मक्का तो तैयार हो चुकी थी, भुट्टे निकल आए थे, भरी पूरी फसल लहरों की भेंट चढ़ जाने से किसान फिर एक बार निराश है।
कुछ नहीं बचा
चपरघटा, नयापुरवा, आढ़न, पथार, बांगर, क्योंटरा, डिलौलिया गांव पूरी तरह डूब गये। नयापुरवा के शिवबाबू कहते हैं मक्का तैयार थी, बच्चे भुट्टे भी तोड़ कर लाए थे, कुछ समय बाद पक कर घर लाने की तैयारी थी। पथार के बिहारी कहते हैं, धान की फसल पानी बेहतर मिलने से अच्छी थी, इस बार उम्मीद थी कि जो पचास हजार कर्जा लिया था वह भी उतर जाएगा, पर ऊपर वाले को तो कुछ और ही मंजूर था।
कैसे बनेगा आशियाना
बांगर, नयापुरवा में एक दर्जन मकान बाढ़ की चपेट में आकर तहस नहस हो गए। ऊंचाई पर शरण लिये लोग अभी से सोच रहे हैं कि जब घर लौटेंगे तो रहेंगे कहां। जो मकान कच्चे थे वह तो पूरी तरह गिर गये कुछ गिरने वाले हैं। मुसरिया के वंशागोपाल व गोरे का कच्चा मकान था, पानी से घिरा होने के कारण पूरी तरह गिर गया। उसमें रखी गृहस्थी भी दब गई।