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साहस और ईमानदारी के साथ उत्कृष्ट जांच, मिला गृहमंत्री पदक

उनकी पत्नी फरहत व माफिया मुख्तार अंसारी पर दर्ज हुआ था मुकदमा

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Aug 2022 04:01 AM (IST)Updated: Sun, 14 Aug 2022 04:01 AM (IST)
साहस और ईमानदारी के साथ उत्कृष्ट जांच, मिला गृहमंत्री पदक
साहस और ईमानदारी के साथ उत्कृष्ट जांच, मिला गृहमंत्री पदक

साहस और ईमानदारी के साथ उत्कृष्ट जांच, मिला गृहमंत्री पदक

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जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : एक समय था कि कभी राजनीतिक दबाव तो कभी विवेचना में लापरवाही से माफिया के खिलाफ दर्ज मुकदमों की विवेचना लंबी खिंचती थी। लखनऊ के हजरतगंज थाने में तैनात रहे रामगोविंद मिश्रा ने साबित किया साहस और ईमानदारी हो तो आरोपित पर कार्रवाई तय है। इस समय सिकंदरा थाने के प्रभार देख रहे रामगोविंद ने माफिया मुख्तार अंसारी और उनके परिवार वालों पर सरकारी संपत्ति पर कब्जा कर निर्माण करने के मुकदमे में तेजी से विवेचना कर साक्ष्य जुटाए और चार्जशीट दाखिल की। यह अवैध निर्माण ढहाया भी गया। जांच में उत्कृष्टता के लिए उन्हें केंद्रीय गृहमंत्री पदक मिला है।

लखनऊ के हजरतगंज थाने में 27 अगस्त 2020 में पुराने मंत्री आवास के सामने शत्रु संपत्ति पर अवैध कब्जे का मुकदमा दर्ज हुआ था। इसमें माफिया मुख्तार अंसारी, भाई अफजाल अंसारी और उनकी पत्नी फरहत अंसारी को आरोपित बनाया गया था। जांच हुई और अवैध निर्माण ढहा दिया गया था। आरोपित हाई कोर्ट पहुंच गए और कार्रवाई को अवैध बताया। विवेचना की जिम्मेदारी मिली तब हजरतगंज थाने में अतिरक्त इंस्पेक्टर रहे रामगोविंद मिश्रा को। विवेचना शुरू हुई तो पता चला कि जमीन से जुड़े कागजात ही गायब हैं। कई जगह गए तो सहयोग भी नहीं मिला। ऐसे में उन्होंने पुराने पुलिसिया अंदाज में जांच करने की ठानी। उस क्षेत्र के पुराने लोगों के पास आम नागरिक बनकर गए, शुरुआत में सफलता नहीं मिली। चाय की दुकान, परचून की दुकान पर गए। चर्चा शुरू की तो किसी ने पुराने नक्शे में जमीन के सरकारी दर्ज होने की बात कही तो किसी ने उस समय के अधिकारी व लेखपाल का भी नाम बता दिया। इसके बाद परत दर परत खंगाली। तहसील के मालखाना से पुराने कागजात बमुश्किल निकलवाए। पुराने नेताओं से भी संपर्क किया तो सुराग लगा। जेल में मुख्तार के पास भी गए, उसके भी बयान लिए और सवाल जवाब किया तो उससे भी अहम चीजें पता चलीं। पूरी केस डायरी तैयार की और जब अदालत में चार्जशीट दाखिल की तो जीत हुई।

सिपाही से तय किया इंस्पेक्टर का सफर

मिर्जापुर के विध्यांचल के तिवारी सरोई गांव के रहने वाले रामगोविंद मिश्रा की 1986 में पुलिस विभाग में सिपाही पद पर भर्ती हुई थी। वर्तमान में वह इंस्पेक्टर हैं। जिले में भी चोरी व हत्या के मामले का उन्होंने राजफाश किया है। इसमें बेटे ने पिता की हत्या कर जुर्म दूसरे पर लगा दिया था। उसे 24 घंटे में पकड़ लिया था, मामला चर्चित रहा था।

क्यों मिलता है जांच में उत्कृष्टता के लिए गृह मंत्री पदक

जांच में उत्कृष्टता के लिए गृह मंत्री पदक किसी भी अपराध की जांच में उच्च मानकों को स्थापित करके पेशेवर रवैये को बढ़ाने, कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी व असाधारण साहस का परिचय देने वाले पुलिस कर्मियों को दिया जाता है।


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