मिट्टी वाले दिये जलाओ अबकी बार दीवाली में..
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: देश के धन को देश में रखना नहीं बहाना नाली में.. मिट्टी व
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: देश के धन को देश में रखना नहीं बहाना नाली में.. मिट्टी वाले दिये जलाना अबकी बार दिवाली में, कुछ इसी तरह की पंक्तियां गुनगुनाते हुए यह मिट्टी का नन्हा हुनरमंद अपनी ओर ग्राहकों को आकर्षित कर रहा है। पर्व को कुछ ही दिन शेष हैं ऐसे में कुम्हार घर परिवार सहित तैयार माल बाजार पहुंचाने लगे हैं।
नगर के बाजार में एक नुक्कड़ पर अपने पिता के साथ आया अजीत मिट्टी के दीपकों से घिरा हुआ बैठा कुछ गाना गुनगुना रहा है। बीच-बीच में वह अपनी दुकान में रखे दिये, परवा, मटकी भी इधर से उधर करता जाता है। अजीत अपने चार बहन और दो भाई में चौथे नंबर का है। उसके और भाई-बहन दूसरे स्थान पर दुकान सजाए हैं। वह स्कूल जाता है लेकिन पिछले एक माह से अपने पिता लालता प्रसाद का अन्य भाई-बहनों के साथ हाथ भी बंटाता रहा है। साल भर के इस पर्व पर उसे अपना घर ही नहीं बल्कि पूरे जहां को रोशन करने की तमन्ना है। इसी सोच के साथ वह सुबह से ही बाजार में आ कर डट गया। भले वह कक्षा दो में पढ़ता है लेकिन उसकी सोच उसे कई क्लास ऊपर ले जाती है। अपने घर पुरानी तहसील से अपने पिता के साथ साइकिल से यहां पहुंचा और पूरे उत्साह से अकेले ही दुकानदारी करने में जुट गया। वह गाना गाकर लोगों को अपने रंग बिरंगे मिट्टी के दियों की ओर आकर्षित कर रहा है।