Move to Jagran APP

बाधा में फंसी उज्ज्वला, रसोई धुआं-धुआं

केस-1) पिलख निवासी कृष्णा दुलारी कहती हैं कि डेढ़ वर्ष पूर्व मलगांव स्थित ग्रामीण गैस वितरक

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 05:36 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 05:36 PM (IST)
बाधा में फंसी उज्ज्वला, रसोई धुआं-धुआं
बाधा में फंसी उज्ज्वला, रसोई धुआं-धुआं

केस-1)

prime article banner

पिलख निवासी कृष्णा दुलारी कहती हैं कि डेढ़ वर्ष पूर्व मलगांव स्थित ग्रामीण गैस वितरक एजेंसी में उज्ज्वला योजना में गैस कनेक्शन के लिए आवेदन किया था। उनके नाम से कनेक्शन जारी हो गया लेकिन अब तक सिलिडर व चूल्हा नहीं मिला। ऐसे में चूल्हे पर लकड़ी जलाकर ही खाना पकाना मजबूरी है।

फोटो, 17)

केस-2)

बरौर की सूरजमुखी कहती हैं कि गरीबी रेखा का पात्र गृहस्थी राशन कार्ड है। उज्ज्वला योजना के बारे में पता लगा तो लगभग छह माह पूर्व आवेदन किया। कई बार एजेंसी के चक्कर लगाए। अलबत्ता एजेंसी संचालन ने बीपीएल सूची में नाम दर्ज न होने का तर्क देकर टकरा दिया।

फोटो, 18)

केस-3)

बरौर की रजनी सैनी का कहना है कि आर्थिक रूप से उनका परिवार बेहद कमजोर है। चूल्हे पर लकड़ी जलाकर खाना पकाने से दमघोटू माहौल रहता है। आंखों की रोशनी भी कमजोर हो गई हैं। उज्ज्वला योजना में निश्शुल्क रसोई गैस कनेक्शन के लिए आवेदन किया लेकिन कनेक्शन नहीं मिला।

फोटो, 19) दिनेश मिश्र, कानपुर देहात:

ये कुछ उदाहरण हैं उन गरीब परिवारों के जिन्हें पात्र होते हुए भी अब तक प्रधानमंत्री की निश्शुल्क रसोई गैस योजना उज्ज्वला का लाभ नहीं मिला। साफ है कि ऐसे तमाम जरूरतमंद व गरीब परिवार हैं जिन्हें सिस्टम की बाधा ने उज्ज्वला के लाभ से वंचित कर रखा है।

उज्ज्वला योजना जब मई 2016 में लांच की गई तो वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक गरीबी रेखा के नीचे के सूचीबद्ध परिवार ही इसके दायरे में थे। जबकि एकल पुरुष मुखिया को उज्ज्वला योजना में रसोई गैस मिलने की अड़चन थी। बाद में योजना में कुछ बदलाव हुए। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के लाभार्थी, अधिकांश पिछड़ा वर्ग, अंत्योदय अन्न योजना लाभार्थी या फिर अन्य गरीब परिवारों को भी सम्मिलित किया गया। गरीब परिवारों की महिला मुखिया के आवेदनों को वितरक एजेंसियों कूड़ादान में डाल दिया। भाग दौड़ के बाद थक हार कर इन परिवारों के सदस्य इसे किस्मत मान शांत बैठ गए। साफ है कि सभी गरीब परिवारों की रसोई तक उज्ज्वला नहीं पहुंच सकी है।गैस वितरक कंपनी या फिर अन्य तंत्र की अड़चनें अभी भी उज्ज्वला को हर पात्र तक पहुंचने की बाधा बनी हैं।

इंसेट)

शिकायत आने के मामलों में पड़ताल कराकर कार्रवाई की जाती है। वह संबंधित मामलों की जानकारी कराएंगे इसके बाद यदि आवेदक परिवार पात्रता के दायरे में हैं तो उन्हें उज्ज्वला योजना का लाभ मिलेगा।

पारितोष कोतवाल, नोडल अधिकारी उज्ज्वला

इंसेट)

17 फीसद परिवारों ने नहीं लिया दोबारा सिलिडर

जिले में सात ग्रामीण रसोई गैस वितरक समेत कुल 32 एजेंसिया हैं। जानकारों की मानें तो उज्ज्वला कनेक्शन मिलने के बाद जिले के 17 फीसद परिवारों ने दूसरा रसोई गैस सिलिडर रिफिल नहीं लिया। हालाकि सिलिडर रिफिल पर आने वाला एक मुश्त खर्च कम करने के लिए अब पांच किलो वाले गैस सिलिडर का विकल्प मौजूद है। लेकिन इसका व्यापक प्रचार प्रसार न होने गरीब परिवारों को छोटे सिलिडर के विकल्प का फायदा नहीं मिल रहा है। गैस वितरण एजेंसियां भी छोटे सिलिडर रिफिल को लेकर असहज हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.